शाहीन नगर में दो घर ऐसे हैं जहां ग़म का माहौल है ऐसा लगता है कि उन घरों के मकीनों के साथ साथ उन के दरो दीवार भी रो रहे हों। दरअसल 22 फ़ेब्रुअरी को पेश आए एक दर्दनाक वाक़िया में दो सगे भाई और उन का एक हम जमाअत अपनी ज़िंदगी से हाथ धो बैठे। सारे इलाक़े शाहीन नगर के लोगों पर ग़म तारी है।
अफ़सोसनाक बात ये है कि इस हादिसा में जो सगे भाई 12 साला शेज़ान अहमद सिद्दीक़ी और 12 साला रेहान अहमद सिद्दीक़ी इंतिक़ाल कर गए हैं उन के वालिदैन को और कोई औलाद नहीं है बल्कि 8वीं जमात में ज़ेरे तालीम रहे ये दोनों लड़के अपने गरीब वालिदैन की उम्मीदों का मर्कज़ अरमानों का मंबा और तमन्नाओं का मेहवर थे।
लेकिन 22 फ़ेब्रुअरी के दिन दो बजे वे आई पी स्कूल के ये दोनों तालिबे इल्म अपने हम जमाअत सैयद जाफ़र और दीगर लड़कों के साथ करीब में वाक़े उसमान नगर तालाब पहूंचे और उस में ग़र्क़ाब हो कर अपने वालिदैन को ज़िंदगी भर का ग़म दे गए। तमन्नाओं और ख़ाहिशात का मीनार ढेर हो गया। शेज़ान और रेहान जहां अपने वालिदैन के आँखों में आँसू और ज़हन में प्यार भरी यादें छोड़ गए वहीं सैयद जाफ़र भी अपने प्यारे वालिदैन और भाई बहन को ऐसा दर्द दिया गया जिस का एहसास उन्हें ज़िंदगी भर सताता रहेगा।
उसमान नगर तालाब में एक साथ तीन कमसिन दोस्तों की मौत के बाद शाहीन नगर पहुँचकर इन महलूक बच्चों के वालिदैन से बात-चीत और उसमान तालाब का जायज़ा लेने पर पता चला कि कसीर मुस्लिम आबादी के करीब वाक़े तालाब बिलकुल खुला पड़ा है। साल 2013 में एक साल के दौरान उसमान नगर तालाब में 6 लड़के ग़र्क़ाब हुए।
इस के बावजूद हुकूमत और अवामी नुमाइंदों को कोई फ़िक्र नहीं। काश ये सरकारी अहलकार और अवामी नुमाइंदे शेज़ान, रेहान और सैयद जाफ़र के वालिदैन की आँखों से बहते आँसू देखते उनका दर्द महसूस करते तो हमें यक़ीन है कि फ़ौरी इस तालाब के अतराफ़ आहनी जालियां नसब करते जब कि वालिदैन को चाहीए कि अपने बच्चों पर नज़र रखें उन्हें तालाबों, बावलियों, कुन्टों के करीब जाने ना दें।