हुकूमत के मआशी इस्लाहात ( माली सुधार) को यू पी ए की तौसीक़

नई दिल्ली, २८ सितंबर(पी टी आई) कांग्रेस के बाद आज यू पी ए ने हुकूमत के हालिया सख़्त मआशी ( आर्थिक) फ़ैसलों की तौसीक़ कर दी और मज़ीद इस्लाहात ( सुधार) की ज़रूरत पर ग़ौर-ओ-ख़ौज़ किया। यू पी ए की हलीफ़ जमातों के इजलास में वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने ग़ैरमुल्की सरमाया कारी ( विदेशी निवेशको) को यक़ीनी बनाने केलिए मआशी इस्लाहात ( आर्थिक सुधार) की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।

रीटेल शोबा ( Sector) में ग़ैरमुल्की रास्त सरमाया कारी ( विदेशी निवेशको) की इजाज़त और डीज़ल की क़ीमत में इज़ाफ़ा के इलावा सब्सीडी पर पकवान गैस सिलींडर्स की तादाद महिदूद ( सीमित) करने के फ़ैसलों के बाद हुक्मराँ इत्तिहाद में शामिल क़ाइदीन ( लीडर) ने उमूमी तौर पर इन फ़ैसलों पर इत्मीनान का इज़हार किया है।

15 दिन क़बल किए गए मआशी सख़्त फ़ैसले यू पी ए के लिए किसी क़दर परेशानकुन साबित हुए थे क्योंकि यू पी ए में शामिल दूसरी सब से बड़ी हलीफ़ तृणमूल कांग्रेस ने ताईद ( समर्थन) से दसतबरदारी इख़तियार कर ली। मर्कज़ी वज़ीर फायनेन्स पी चिदम़्बरम ने ज़राए इबलाग़ के नुमाइंदों से बातचीत करते हुए कहा कि गुज़शता 10दिन में कई अहम फ़ैसले किए गए और इस की वजह से पैदा शूदा सूरत-ए-हाल का हम ने जायज़ा लिया।

उन्होंने कहा कि हुकूमत के इन इक़दामात ( क्रियानिष्पादन) पर इतमीनान का इज़हार किया गया। अगरचे बाअज़ ने उसे अवाम पर एक बोझ क़रार दिया लेकिन इन फ़ैसलों से मरबूत फ़रीक़ैन ने ख़ौरमक़दम करते हुए उसे ज़रूरी और नागुज़ीर ( जरूरी) क़रार दिया है। उन्होंने बताया कि मज़ीद इस्लाहात के सिलसिला में भी ग़ौर-ओ-ख़ौज़ किया गया।

चिदम़्बरम ने कहा कि अवाम तक ये पयाम पहुंच चुका हैकि इस तरह के इक़दामात ज़रूरी और नागुज़ीर (बहुत जरूरी) है। अवाम इस हक़ीक़त को समझ चुके हैं और हम इस के लिए इनका शुक्रिया अदा करते हैं। यू पी ए कमेटी के इस इजलास की सदारत सोनीया गांधी ने की।

ये इजलास ( सभा) ऐसे वक़्त मुनाक़िद ( आयोजित) हुआ जबकि दो दिन क़बल ही कांग्रेस रुकन कमेटी ने मआशी इस्लाहात पर हुकूमत के फ़ैसलों की तौसीक़ ( पुष्टी) की थी। यू पी ए राबिता कमेटी इजलास में वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह ने हिंदूस्तान में सरमाया कारी ( निवेशको) को यक़ीनी बनाने के लिए कई इक़दामात की ज़रूरत पर ज़ोर दिया।

चिदम़्बरम ने कहा कि वज़ीर-ए-आज़म ने इजलास ( सभा) में वाज़िह ( स्पष्ट) किया कि रुपय की क़दर को मुस्तहकम ( मजबूत) बनाए रखने के लिए हमें कई इक़दामात ( कार्य) करने होंगे, जिस के नतीजा में सरमायाकारी का बहाओ होगा और साथ ही साथ अंदरून-ए-मुल्क सरमायाकारों ( निवेशको) को भी हौसला मिलेगा और वो मुल़्क की मईशत ( माली हालात) में अपनी रक़म लगा सकेंगे।

वज़ीर फायनेन्स ने बताया कि इस इजलास में मख़सूस इस्लाहात के लिए इक़दामात जैसे इंश्योरेंस और पेंशन में एफ डी आई के ताल्लुक़ से ग़ौर-ओ-ख़ौज़ नहीं किया गया। जब उन से पूछा गया कि क्या इस्लाहात का अमल जारी रहेगा तो उन्होंने इस बात में जवाब दिया।

चिदम़्बरम ने कहा कि अगरचे मख़सूस तौर पर किसी असलाहाती इक़दाम पर बात नहीं हुई लेकिन इस्लाहात के अमल को आगे बढ़ाने की ज़रूरत पर तबादला-ए-ख़्याल किया गया। मंगल को कांग्रेस रुकन कमेटी के इजलास में हुकूमत के नए मआशी इस्लाहात से मुताल्लिक़ फ़ैसलों की मुकम्मल ताईद करते हुए सदर कांग्रेस सोनीया गांधी ने कहा था कि ये इस्लाहात इंतिहाई ज़रूरी हैं और हुकूमत ने इस सिम्त इक़दामात शुरू कर दिए।

यू पी ए राबिता कमेटी की जानिब से भी हुकूमत के इन इक़दामात की तौसीक़ का मक़सद ये वाज़िह करना है कि वज़ीर-ए-आज़म मनमोहन सिंह या कांग्रेस पार्टी इस्लाहात के मसला पर यक्का-ओ-तन्हा नहीं हैं। अपोज़ीशन जमातों ने रीटेल शोबा में एफडी आई के फ़ैसला को अक़ल्लीयती फ़ैसला क़रार देते हुए कहा था कि यू पी ए में शामिल कई जमातें उस की मुख़ालिफ़ ( विरोधी) हैं।

तृणमूल कांग्रेस ने पहले ही हुकूमत की ताईद ( समर्थन) से दसतबरदारी इख़तियार कर ली है। डी एम के और दीगर हलीफ़ जमातों ने इन फ़ैसलों के ख़िलाफ़ एहतिजाज किया था। समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी की यू पी ए को बैरूनी ताईद हासिल है और इसी पर हुकूमत की बक़ा का इन्हिसार ( निर्भर) है।