एक पाकिस्तानी इन्सिदाद-ए-दहशत गर्दी अदालत ने रोलिंग दी है कि हुकूमत को किसी अथार्टी से इजाज़त की ज़रूरत नहीं कि बेनज़ीर भुट्टो क़त्ल केस की तहक़ीक़ात या उनके क़त्ल में मुलव्वस मुल्ज़िमीन के ख़िलाफ़ अदालती कार्रवाई को मंज़र-ए-आम पर लाया जाए।
रावलपिंडी की इन्सिदाद-ए-दहशत गर्दी अदालत ने कल अपनी रोलिंग एक दरख़ास्त के जवाब में दी जो स्पेशल पब्लिक प्रॉसिक्यूटर चौधरी ज़ुल्फिक़ार अली ने दाख़िल की थी, जिसमें जज चौधरी हबीब अलरहमान से इस्तिदा की गई थी कि बेनज़ीर केस की तहक़ीक़ात और ट्रायल कार्रवाई को मंज़र-ए-आम पर लाने की इजाज़त दी जाए।
जज ने मज़ीद कहा कि हुकूमत इस तहक़ीक़ात के नताइज और समाअत की रूदाद से अवाम को वाक़िफ़ करा सकती है। पाँच अफ़राद एतिज़ाज़ शीराज़ी, अबदुर्रशीद तुराबी, शेर ज़माँ, रिफ़ाक़त हुसैन और हसनैन गुल को गिरफ़्तार करते हुए बेनज़ीर के क़त्ल में मुलव्वस होने के इल्ज़ामात आइद किए गए हैं।
इन का ट्रायल रावलपिंडी की अदियाला जेल में सेक्योरिटी वजूहात की बिना बंद दरवाज़ों में मुनाक़िद किया जा रहा है।