हुकूमत तमाम इसकीमात को ऑनलाइन करने तय्यार

चीफ मिनिस्टर ने ऐलान किया कि रियासत में अगर तमाम ख़ानदान अपने अपने बैंक अकाउनटस खोलते हैं तो फिर हुकूमत तमाम फ़लाही इसकीमात को ऑनलाइन करने तय्यार है। चीफ मिनिस्टर मिस्टर एन किरण कुमार रेड्डी ने आज बैंकर्स को तलक़ीन की कि बढ़ते हुए मसारिफ़ और ज़रई मशमोलाती लागत के पेश नज़र ज़राअत के लिए क़र्ज़ा जात की शरह को बढ़ाएं। जुबली हाल में 177 वीं रियासती सतह की बैंकर्स कमेटी से कलीदी ख़ुतबा देते हुए कहा कि ज़राअत केलिए बैंकों के क़र्ज़ा जात की शरह दीगर रियासतों के मुक़ाबिल हमारी रियासत में कम है।

उन्हों ने कहा कि काशतकारी के मसारिफ़ में ज़बरदस्त इज़ाफ़ा हुआ है इस लिए इस शोबा को क़र्ज़ा जात की फ़राहमी में इज़ाफ़ा करने की ज़रूरत है। चीफ मिनिस्टर ने रियासत में काश्तकारों के लिए क़र्ज़ा जात की री शैडूलिंग में सुस्त रवी का मुज़ाहरा करने पर बैंकों को सख़्त तन्क़ीद का निशाना बनाया । उन्हों ने कहा कि हुकूमत की जानिब से खरीफ सीज़न 2011 के दौरान रियासत के 878 मंडलों को ख़ुशकसाली से मुतास्सिरा क़रार दिया गया था ।

बैंकों को चाहीए था कि वो मुतास्सिरा मंडलों में रबी सीज़न केलिए क़र्ज़ा जात की री शैडूलिंग करते । जुमला 15,823 करोड़ रुपय क़र्ज़ा जात जारी होने थे लेकिन 489 करोड़ रुपय जारी किए गए इसतरह सिर्फ़ 3.09 फीसद क़र्ज़ा की री शैडूलिंग की गई है । उन्हों ने कहा कि जारीया साल शोबा ज़राअत केलिए 48,000 करोड़ के क़र्ज़ा जात का निशाना था मगर सिर्फ 30,985 करोड़ रुपय (65%) ही फ़सल क़र्ज़ जारी किए गए। काश्तकारों को कर्ज़ों की इजराई की सूरत-ए-हाल में बेहतरी पैदा नहीं हुई है ।

उन्हों ने अफ़सोस का इज़हार किया कि सेल्फ हेल्प ग्रुपस केलिए 9,084 करोड़ का निशाना मुक़र्रर किया गया मगर सिर्फ 6,018 करोड़ (66%) ही बैंकों ने क़र्ज़ फ़राहम किए हैं। चीफ मिनिस्टर ने याद दिलाया कि कमज़ोर तबक़ात केलिए भी क़र्ज़ा जात की फ़राहमी में बैंकों की कारकर्दगी तमानियत बख़श नहीं है।

चीफ मिनिस्टर ने शहरी गरीब अवाम में भी क़र्ज़ा जात की अदम तक़सीम पर बैंकों को तन्क़ीद का निशाना बनाया और कहा कि वॉम्बे और राजीव गिरहा कल्पा स्कीम के तहत भी ओवर डेव की सूरत-ए-हाल पैदा होगई है । चीफ मिनिस्टर ने बैंकों से ख़ाहिश की कि वो हैंडलूम सेक्टर की भी मदद केलिए आगे आएं ।ये शोबा अब इंतिहाई कमज़ोर हालत में है ।