हैदराबाद 15 अगस्त:क़ाइद अप्पोज़ीशन तेलंगाना क़ानूनसाज़ कौंसिल मुहम्मद अली शब्बीर ने गरामा ज्योति प्रोग्राम को पुरानी बोतल में नई शराब क़रार देते हुए हुकूमत से अपना गांव अपनी मंसूबा बंदी के बारे में वज़ाहत तलब की।
इन्होंने सी एलपी ऑफ़िस असेंबली में प्रेस कांफ्रेंस से ख़िताब करते हुए कहा कि 13 जुलाई 2014 को चीफ़ मिनिस्टर तेलंगाना के चन्द्रशेखर राव ने अपना गांव अपनी मंसूबा बंदी के नाम से प्रोग्राम शुरू करते हुए गांव वालों को अपने गांव की तरक़्क़ी के लिए मंसूबा बंदी का मश्वरह दिया था।
इन्होंने अचानक गरामा ज्योति प्रोग्राम शुरू करने पर हुकूमत से इस्तिफ़सार किया के इन दोनों प्रोग्राम्स में क्या फ़र्क़ है?। इन्होंने 14,658 करोड़ रुपये के मसारिफ़ से शुरू करदा अपना गांव अपनी मंसूबा बंदी प्रोग्राम को अचानक दरमयान में रोक देने की वजह दरयाफ़त की और कहा कि इस प्रोग्राम के तहत सी सी रोड पर 6578.26 करोड़ रुपये, डरेंज के कामों पर 2846.29 करोड़, हैड टैंक की तामीर पर 874.16 करोड़, आबपाशी प्रोजेक्ट्स पर 1476.31 करोड़, बरजिस की तामीर पर 797.92 करोड़ और पाइपलाइन की तंसीब पर 638.52 करोड़ रुपये ख़र्च करने का एलान किया गया था। इन्होंने क़ब्लअज़ीं चेस्ट हॉस्पिटल, को मुंतक़िल करने और हुसैन सागर का पानी ख़ाली करने का एलान किया था, लेकिन अवामी एहतेजाज के बाद दस्त-बरदार हो गए।