हुकूमत तेलंगाना का सर्वे इंतिहाई अहमियत का हामिल

तेलंगाना हुकूमत की जानिब से करवाए जाने वाले ख़ुसूसी सर्वे के मुताल्लिक़ अवाम में मौजूद गलत फहमियों को दूर किया जाना ज़रूरी है। अवाम में ये तास्सुर पैदा किया जा रहा है कि ये सर्वे कोई कारआमद सर्वे साबित नहीं होगा बल्कि अब तक होने वाले दीगर सर्वे और मर्दुम शुमारी की तरह ये भी गैर अहम साबित होगा।

दरहक़ीक़त नई रियासत में इस तरह के सर्वे के मुताल्लिक़ ये तास्सुर पैदा करने की कोशिश बाअज़ हल्क़ों की जानिब से की जा रही है जो ये नहीं चाहते कि तेलंगाना में अवाम के हक़ीक़ी समाजी और मआशी मौक़िफ़ के इलावा राय दहिन्दों की तादाद मंज़रे आम पर आए।

हुकूमत तेलंगाना की जानिब से करवाए जाने वाला ये सर्वे इंतिहाई अहमियत का हामिल है और इस सर्वे के ज़रीए हुकूमत की जानिब से रियासत के हक़ीक़ी बाशिंदों की निशानदेही के साथ साथ रियासत में शफ़्फ़ाफ़ हुक्मरानी की फ़राहमी के इक़दामात किए जाने का मंसूबा है।

बताया जाता है कि हुकूमत की जानिब से करवाए जाने वाले इस सर्वे को सिर्फ़ एक यौम में मुकम्मल करने का मक़सद इस में किसी किस्म की उलट फेर की गुंजाइश बाक़ी ना रखने के इलावा तलबीस शख़्सी से सर्वे को महफ़ूज़ रखना है।

19 अगस्त को होने वाले इस अहम तरीन सर्वे में जो निकात शामिल रखे हुए हैं, इन में समाजी और मआशी मौक़िफ़ से आगही को काफ़ी ज़्यादा अहमियत दी गई है। हुकूमत के इस फैसला की मुख़्तलिफ़ गोशों से सराहना की जा रही है और कहा जा रहा है कि एक दिन में मुकम्मल सर्वे की सूरत में सर्वे को कई नक़ाइस से पाक बनाया जा सकता है।