हुकूमत मईशत को बेहतर बनाने मुश्किल फ़ैसले करेगी

करोड़ ऑयल की क़ीमतों में इज़ाफ़ा पर तशवीश का इज़हार करते हुए वज़ीर फानेन्स परनब मुकर्जी ने कहाकि हुकूमत आइन्दा चंद माह में बाअज़ मुश्किल फ़ैसले करेगी और इन पर अमल किया जाएगा। फ़िक्की के ज़ेर‍ ए‍ एहतेमाम मुनाक़िदा प्रोग्राम से ख़िताब करते हुए परनब मुकर्जी ने कहा कि (मसारिफ़) रोड मैप निशानों को पूरा करने के लिए हुकूमत को आइन्दा महीनों में बाअज़ मुश्किल फ़ैसले करना ज़रूरी हो गया है।

हम ख़ुद को हक़ीक़त से दूर रखते हुए अमली पेशरफ़त नहीं कर सकते। इनका ये ईक़ान है कि बजट के ज़रीया सिर्फ़ तमाम कामों की अंजाम दही ही नहीं की जाती बल्कि बुनियादी हक़ायक़ को भी मल्हूज़ रखना ज़रूरी होता है। सिर्फ ऐलानात या फ़ैसले उस वक़्त तक पूरे नहीं होते जब तक हम अमली इक़दामात ना करें और माज़ी में ऐसा किया जा चुका है।

इन्होंने इस यक़ीन का इज़हार किया कि इफ़रात-ए-ज़र की सूरत-ए-हाल जल्द क़ाबू में आ जाएगी। जिसके साथ ही हुकूमत को तवक़्क़ो है कि शरह सूद में भी नुमायां कमी होगी और इससे सरमाया कारों का एतेमाद बढ़ेगा। लेकिन करोड़ ऑयल की क़ीमतों में मज़ीद इज़ाफ़ा हमारे लिए नाक़ाबिल-ए-बर्दाश्त होगा और रिज़र्व बैंक आफ़ इंडिया को सख़्त फ़ैसले करना पड़ेगा।

करोड़ ऑयल की क़ीमतें तक़रीबन 125 डालर फ़ी बैरल तक पहूंच गई है। उन्होंने मईशत को तरक़्क़ी की राह पर गामज़न करने की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए कहा कि हमें अंदरून-ए-मुल्क तरक़्क़ी के निशानों को पूरा करना होगा। इस मक़सद के लिए ख़ानगी सरमाया कारी की हौसला अफ़्ज़ाई ज़रूरी है।

इसके साथ साथ उन्हों ने इनफ्रास्ट्रक्चर और ज़रई शोबा में हाइल रुकावटों को दूर करने की ज़रूरत पर भी ज़ोर दिया। परनब मुकर्जी ने इस यक़ीन का इज़हार किया कि मालीयाती और दीगर इस्लाहात के लिए जारी इक़दामात को आगे बढ़ाया जाएगा और मईशत अपनी रफ़्तार पर वापस आ जाएगी क्योंकि आज की सूरत बिलकुल इसी तरह है जिस तरह 90 के दहिय में देखी गई थी और उस वक़्त भी किसी जमात को वाज़िह अक्सरीयत हासिल नहीं थी।

गुड्स ऐंड सर्विस टैक्स (GST) पर मुक़र्ररा वक़्त के अंदर अमल आवरी का हवाला देते हुए परनब मुकर्जी ने कहा कि इस का इन्हेसार इन्फ़िरादी तौर पर इन (वज़ीर फ़ीनानस) पर नहीं है बल्कि उन्हें जी एस टी को कारकर्द बनाने के लिए पार्लीमेंट के दोनों ऐवान में दो तिहाई अक्सरीयत दरकार है।

इसके साथ साथ 28 रियास्तों के मिनजुमला कम अज़ कम 15 रियास्तों की तौसीक़ ज़रूरी है।