हुकूमत मर्कज से 12032 करोड़ रुपये नहीं ले पायी

रियासत हुकूमत गुजिशता तीन माली सालों में मर्कज़ी और मर्कज़ी स्पोंसर मंसूबा के लिए मुकर्रर पूरी रकम मर्कज़ी हुकूमत से नहीं ले सकी। मर्कज हुकूमत ने माली साल 2010-11, 2011-12 और 2012-13 में झारखंड के लिए कुल 28267.52 करोड़ रुपये का बजट तजवीज किया था। पर रियासत हुकूमत इसमें से महज़ 16235.42 करोड़ रुपये ही ले सकी। 12032 करोड़ (42 फीसद हिस्सा) नहीं ले सकी।

रियासत हुकूमत 19 महकमों के जरिये से मर्कज स्पोंसर मंसूबा ओपरेट करती है। इन मंसूबों में रियासत और मर्कज अपने हिस्से के हिसाब से रक़म तय करते हैं। मर्कज ने माली साल 2010 से लेकर 2013 तक की मुद्दत के लिए अपने हिस्से की रक़म कुल 28267.52 करोड़ रुपये का बजटीय तजवीज किया था। सबसे ज़्यादा 5635 करोड़ रुपये का तजवीज इन्फोरमेशन टेक्नालोजी के लिए किया था। पर इसमें से रियासत हुकूमत महज़ 3973 करोड़ रुपये ही ले सकी। देही तरक़्क़ी के लिए 5174 करोड़ देने की मंजूरी दी थी। पर रियासत हुकूमत 3009 करोड़ रुपये ही ले सकी। इसी तरह सर्व शिक्षा अभियान जैसी अहम मंसूबा के लिए मुकर्रर 4671 करोड़ में रियासत हुकूमत महज़ 2871 करोड़ ही ले पायी। रियासत हुकूमत सैयाहत में एक पाई भी नहीं ले सकी।

क्यों नहीं ले पायी पूरी रक़म

मर्कज़ी हुकूमत किसी मंसूबा के लिए मुकर्रर रक़म कई किस्तों में देती है। रियासत हुकूमत की तरफ से पहले किस्त की रकम खर्च करने और अफ़ादियत सेर्टिफिकेट भेजे जाने के बाद ही मर्कज़ दूसरे किस्त की रक़म जारी करता है। रियासत हुकूमत की तरफ से वक़्त पर अफ़ादियत सेर्टिफिकेट नहीं देने से रक़म नहीं मिली।