हुकूमत सिर्फ़ जी हुज़ूरियों से नहीं चलती :काटजू

कोलकता, २७ नवंबर: (एजेंसी) सदर नशीन प्रेस कौंसल आफ़ इंडिया जस्टिस ( रिटायर्ड) मारकंडे काटजू ने वज़ीर-ए-आला ममता बनर्जी को तन्क़ीद का निशाना बनाते हुए उन्हें एक बेसबरी ख़ातून से ताबीर किया क्योंकि तन्क़ीदें वो बर्दाश्त ही नहीं कर सकतीं ।

अवाम को तन्क़ीदें करने का पूरा हक़ हासिल है और अगर कोई शख़्स तन्क़ीदें बर्दाश्त करने का मुतहम्मिल नहीं हो सकता तो उसे सियासत को ख़ैरबाद कह देना चाहीए । बंगाली मुसन्निफ़ सुनील गंगोपाध्याय की याद में कालीदास ।ग़ालिब फ़ाउनडेशन की जानिब से मुनाक़िदा एक प्रोग्राम में अपने ख़िताब के दौरान उन्होंने ये बात कही जो प्रेस कलब में मुनाक़िद किया गया था ।

उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी सिर्फ़ जी हुज़ूरी करने वालों के दरमयान घिरी रहना चाहती हैं लेकिन आप के अतराफ़ ( आस पास) ऐसे लोग भी होना चाहीए जो ना कहना जानते हों । आप जब तक दूसरों की तन्क़ीदों पर संजीदगी से ग़ौर नहीं करते आप हुकूमत नहीं चला सकते ।

हुकूमत-ए-जम्हूरी तर्ज़ पर चलाए जाने की ज़रूरत है । क़तई फ़ैसला बेशक आप कीजिए लेकिन इससे क़बल दूसरों की राय का भी एहतिराम किया जाना चाहीए । हुकूमत की कारकर्दगी अच्छी और इत्मीनान बख़्श बनाने के लिए अच्छे मुशीरों की भी ज़रूरत है क्योंकि अच्छे मुशीर ही अच्छी हुकूमत चलाने में मुआविन साबित होते हैं ।

इस मौक़ा पर उन्होंने चाणक्य का हवाला दिया जिन्होंने अर्थशास्त्र में ये बात कही थी और इसलिए में ख़ुद भी कहता हूँ कि हुकूमत में मौजूद आफ़िसरान और ओहदेदारान को बलाखौफ़-ओ-ख़तर काम करने की इजाज़त होनी चाहीए । ऐसा माहौल होना चाहीए जहां अच्छे को अच्छा और बुरे को बुरा कहने पर कोई पाबंदी ना हो ।

काटजू ने ममता बनर्जी से अपनी क़ब्लअज़ीं हुई मुलाक़ात का तज़किरा करते हुए कहा कि वो एक अच्छी ख़ातून हैं जो आम आदमी का दर्द समझती हैं । आँजहानी सुनील गंगोपाध्याय ने भी ये बात कही थी । काटजू ने ममता बनर्जी पर रियासत मग़रिबी बंगाल को तरक़्क़ी देने के लिए गुजरात मॉडल पर अमल पैरा होने का बयान देने पर भी तन्क़ीद की थी ।