हुकूमत क़ौम मुख़ालिफ़ सरगर्मीयों पर क़ाबू पाए

नागौर राजस्थान: आरएसस ने आज हुकूमत से कहा कि वो यूनीवर्सिटीज़ में क़ौम मुख़ालिफ़ सरगर्मीयों में शामिल‌ रहने वाले तख़रीबकार अनासिर पर क़ाबू पाए। संघ‌ ने सवाल किया कि जेएनयू में मुकुल की तक़सीम पर-ज़ोर देने वाले नारों को किस तरह बर्दाश्त किया गया । आरएसएस के आला क़ाइदीन का एक सहि रोज़ा इजलास आज शुरू हुआ।

बैठक‌ में संघ‌ ने कहा कि हमें उम्मीद है कि केंद्र‌ और रियासती हुकूमतें इस तरह की क़ौम मुख़ालिफ़ और समाज मुख़ालिफ़ ताक़तों से सख़्ती से निमटेंगी और इस बात को यक़ीनी बनाएँगी कि सक़ाफ़्ती माहौल और तक़द्दुस को बरक़रार रखा जाएगा और इस बात की इजाज़त नहीं दी जाएगी कि हमारे तालीमी इदारे सियासी सरगर्मीयों का मर्कज़ बन जाएं।

जेएनयू तनाज़ा हैदराबाद यूनीवर्सिटी में दलित तालिब-इल्म की ख़ुदकुशी जैसे वाक़ियात से मोदी हुकूमत के निमटने के तरीका-ए-कार पर हो रही तन्क़ीदों के पस-ए-मंज़र में आरएसएस का ये इजलास एहमियत का हामिल है। मोदी हुकूमत पर इल्ज़ाम है कि वो तालीम को ज़ाफ़रानी रंग दे रही है और मुल्क में बीजेपी के लिए एहमियत के हामिल असेम्बली इंतेख़ाबात से पहले इनटॉलेरेंस पर मबाहिस भी शुरू हो गए हैं।

बीजेपी के सदर अमित शाह अखिल भारतीय प्रति निधि सभा के शुरुआती बैठ‌ में शरीक थे जिसमें संघ‌ के आला क़ाइदीन बिशमोल सरबराह मोहन भागवत भी मौजूद थे। बैठक‌ में पेश करदा अपनी सालाना रिपोर्ट में आरएसएस ने पठानकोट में हुए हमले की भी मज़म्मत की और सिक्योरिटी फोर्सेस की कारकर्दगी पर नज़रेसानी की ज़रूरत पर-ज़ोर दिया है।

संघ‌ ने कहा है कि इस सारे मामले का जायज़ा लेना चाहिए और गै़रक़ानूनी तारकीन-ए-वतन की आमद-ओ-पाकिस्तान से फूटने वाली दहशतगर्दी पर क़ाबू पाने इक़दामात की ज़रूरत है। संघ‌ ने हरियाणा और गुजरात में तहफ़्फुज़ात के लिए पर तशद्दुद एहतेजाज को ना सिर्फ इंतेज़ामी मशीनरी के लिए चैलेंज क़रार दिया बल्कि कहा कि इस से समाजी हम-आहंगी-ओ-भरोसा के लिए भी ख़तरा है।

मालदा में एक हुजूम की तरफ‌ से पुलिस स्टेशन को नज़र-ए-आतिश किए जाने के वाक़िया का तज़किरा करते हुए संघ‌ ने ख़ौफ़ का माहौल पैदा किए जाने की कोशिशों की मज़म्मत की। कहा गया कि सियासी जमातों को ख़ुशामद की पालिसी तर्क करनी चाहिए और इस तरह के वाक़ियात को संजीदगी से लेने की ज़रूरत है।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कुछ जमिआत में क़ौम मुख़ालिफ़ सरगर्मीयां मुहिब-ए-वतन शहरीयों के लिए तशवीश का बाइस हैं। ये सवाल किया गया कि इज़हार-ए-ख़याल की आज़ादी के नाम पर किस तरह से मुल्क की तक़सीम के नारे लगाए जा सकते हैं। इस सूरत-ए-हाल को किस तरह बर्दाश्त किया जा रहा है और जिस शख़्स ने मुल्क की पार्लियामेंट को धमाके से उड़ा देने की धमकी दी थी उसे किस तरह से शहीद क़रार दिया जा सकता है। संघ‌ ने कहा कि जो लोग ऐसा कर रहे हैं उन्हें मुल्क‌ के दस्तूर में कोई यक़ीन नहीं है|