हुज़ूर अकरम ई की बिअसत का मक़सद तमाम इंसानों की इस्लाह

हैदराबाद ०‍३ मार्च‌: हुज़ूर अकरम ई की बिअसत का मक़सद इंसानीज़िंदगी के किसी एक मख़सूस शोबा की इस्लाह नहीं था बल्कि आपऐ वो इन्क़िलाब अज़ीमके दाई थे जिस के ज़रीया इन्फ़िरादी और इजतिमाई ज़िंदगी में ऐसी तबदीलीयां आएं किइंसानियत के अफ़्क़ार-ओ-नज़रियात एतिक़ादात-ओ-इबादात अख़लाक़-ओ-मुआमलात और सियासत ग़रज़ हर शोबा-ए-हियात में एक इन्क़िलाब बरपा होगया । इन ख़्यालात काइज़हार कान्फ़्रैंस हाल जामि मस्जिद आलीया में डाक्टर सय्यद इस्लाम उद्दीन मुजाहिद नेतारीख़ इस्लाम लकचर की 540 वीं नशिस्त को बउनवान हयात तुय्यबा ।

इस्लाही इन्क़िलाब का बाइस ख़िताब करते हुए किया । नशिस्त का आग़ाज़ क़ारी तबारक हुसैन की क़िरात कलाम पाक से हुआ । उन्हों ने कहा कि हुज़ूर अकरम ई ने मुआशरती इस्लाहात पर ख़ुसूसी तवज्जा फ़रमाई । आप के सामने ये हक़ीक़त मुनकशिफ़ थी कि अख़लाक़ी इस्लाहके बगै़र ममलकत के क़वानीन बेमानी होजाते हैं । इस लिए आप ने मुआशरती बुराईयों को जो घन की तरह खा जाती हैं दूर करने में कोई कसर उठाना रखी । मसला झूट , ग़ीबत , इल्ज़ाम तराशी , वाअदा ख़िलाफ़ी , तकब्बुर और ग़रूर वग़ैरा को गुनाह से ताबीर किया । मुआशरे से शराब , जोह और ज़ना जैसी बदकारियों को ख़तन कर के मुआशरा ततहीर नौ का फ़रीज़ा अंजाम दिया ।

आप के लाए हुए इन्क़िलाब का एक नुमायां पहलू ये भी था किमुआशरा के मआशी अदम मुसावात को ख़तन फ़र्मा कर दौलत की ग़ैर मुंसिफ़ाना तक़सीमको रोकने का इंतिज़ाम किया ।इन्क़िलाबी हिक्मत-ए-अमली के ज़रीया हुज़ूर अकऱ् मुइ ने एक ऐसा समाज तशकील फ़रमाया जिस में हर इंसान की ज़हनी और जिस्मानी कुव्वतों को एक पाकीज़ा और पुरसुकून फ़िज़ा में नशव-ओ-नुमा पाने का मौक़ा मिला ।

उन्हों ने कहा कि इक्कीसवीं सदी का ये दौर जिस में सारी दुनिया एक ग्लोबल विलेज में तबदील होगई है हम से तक़ाज़ा करता है कि हम हुज़ूर अकरम ई के लाए हुए इन्क़िलाब को दुनिया में फिर से नाफ़िज़ और जारी करने के लिए हमातन मसरूफ़ हो जाएं क्यों कि इस में उम्मतमुस्लिमा की दुनियावी कामयाबी और उखरवी नजात का राज़ पिनहां है ।।