हुज़ूर निज़ाम ने मुसीबत में हिंदुस्तान को 5000 किलो सोना दिया था- कैप्टन पांडू रंगा रेड्डी

हैदराबाद 5 अगस्त (सियासत न्यूज़) आसिफ़जाही हुकमरानों ने बेला लिहाज़ मज़हब-ओ-मिल्लत तमाम रियाया को ज़्यादा से ज़्यादा सहूलतें फ़राहम करने में कोई कसर बाक़ी नहीं रखी। आज रियासत आंध्र प्रदेश में जितने बड़े आबपाशी पराजेक्टस् हैं वो सब आसिफ़जाही हशतुम नवाब मीर महबूब अली ख़ां बहादुर और आसिफ़साबे नवाब मीर उसमान अली ख़ां के दौर में तामीर करवाए गए हैं।

यही नहीं बल्कि दिल्ली का हैदराबाद हाउज़ भी हिंदुस्तान को आसिफ़जाही हुकमरानों का तोहफ़ा है। जहां तक अलैहदा रियासत तेलंगाना का सवाल है हुज़ूर निज़ाम के दौर में ये इलाक़ा बहुत ही ख़ुशहाल हुआ करता था लेकिन आंध्र में इंज़िमाम के बाद इलाक़ा तेलंगाना को इंतिहाई पसमांदा बनादिया गया।

यही नहीं हैदराबाद की शनाख़्त को भी मिटाने की कोशिश की गई। इन ख़्यालात का इज़हार तेलंगाना के कट्टर हामी, जहद कार और हिंदू मुस्लिम इत्तिहाद-ओ-हैदराबाद दक्कन की गंगा जमुनीतहज़ीब के दिलदादा कैप्टन पांडू रंगा रेड्डी ने सियासत से बातचीत करते हुए किया।

उन्हों ने कहा कि लोग तास्सुब और जानिबदारी के बाइस हुज़ूर निज़ाम नवाब मीर उसमान अली ख़ां के ख़िलाफ़ अजीब-ओ-ग़रीब बकवास करते हैं हालाँकि हुज़ूर निज़ाम ने 1962में उस वक़्त हिंदुस्तान की मदद की जब चीन के साथ जंग होरही थी।

आज़माईश की इस नाज़ुक घड़ी में नवाब मीर उसमान अली ख़ां बहादुर ने हकूमत-ए-हिन्द को 5 टन सोना (5000 किलो सोना) पेश किया जबकि उस वक़्त मुलक में 500 से ज़ाइद देसी रियास्तों का हिंदुस्तान में इंज़िमाम अमल में आचुका था लेकिन किसी राजा रजवाड़े ने अपने मुल्क की मदद के लिए इस क़दर कसीर मिक़दार में सोना फ़राहम नहीं किया।

हैदराबाद में आनधराई बाशिंदों की करोड़ों रुपये की सरमाया कारी से मुताल्लिक़ सवाल पर उन्हों ने कहा कि आंध्र वालों ने सियासी साज़िशों के ज़रीया हैदराबाद के अतराफ़-ओ-अकनाफ़ की करोड़ों रुपेय मालियती हुज़ूर निज़ाम की जमीनात हासिल किए। इन जमीनात की बुनियाद पर बैंकों से क़र्ज़ हासिल करके शहर में ना सिर्फ़ अपने आलीशान मकानात तामीर करवाए बल्कि कारोबार भी किया।

इन मक्कार लोगों ने तेलंगाना वालों की हक़तलफ़ी की। उर्दू ज़बान को जानबूझ कर निशाना बनाया। उन्हों ने ये भी कहा कि अलैहदा तेलंगाना के लिए सब से पहले जान देने वाले मुस्लमान थे। उन्हों ने ये भी कहा कि अब जबकि रियासत तेलंगाना का क़ियाम यक़ीनी होचुका है, किस मुँह से हुज़ूर निज़ाम के मुख़ालिफ़ीन यौमे निजात मनाएंगे।

इन फ़िर्क़ा परस्तों को मालूम होना चाहीए कि नवाब मीर उसमान अली ख़ां बहादुर ने बनारस हिंदू यूनीवर्सिटी से लेकर देहरा दून मिल्ट्री स्कूल और डोन स्कूल देहरा दून की भरपूर मदद की। हुज़ूर निज़ाम की रवादारी का अंदाज़ा इस बात से लगाया जा सकता है कि उन्हों ने कई मंदिरों को जायदादें अता कीं जिन में तिरूपति, भद्राचलम, याद गीरी गुट्टा जैसी कई मंदिरें शामिल हैं।

उन के दौर में अस्पतालों में मरीज़ों को मुफ़्त खाना फ़राहम करने का रिवाज शुरू हुआ। उस की मिसाल सारे हिंदुस्तान में नहीं मिलती। उन्हों ने हर महिकमा के लिए यूनीफार्म मुतआरिफ़ करवाया जबकि निज़ाम सागर डंडी पराजेक्ट, उसमान सागर,हिमायत सागर, उच्चम पली पराजेक्ट (जो मुकम्मल ना होसका) वग़ैरा भी उन ही का कारनामा है।
अगर मज़ीद दस साल उन की हुकूमत बाक़ी रहती तो इलाक़ा तेलंगाना बहुत ख़ुशहाल रहता।