हुम्नाबाद में नए तालीमी साल बराए 2014 ता 2015 का आग़ाज़ हो चुका है।दो महीने की लंबी तातील के बाद तलबा ने फिर से स्कूल को जाना शुरू कर दिया है।
नए दाख़िलों का भी आग़ाज़ हो चुका है, निजी स्कूलों की भरमार हो चुकी है। मौजूदा वक़्त में बेशतर तालीमी इदारे तालीम को तिजारत का ज़रीया बना कर बैठे हुए हैं,डोनेशन के नाम पर औलिया-ए-तलबा से मन मानी रक़म वसूली जा रही है,बात डोनेशन पर ही ख़त्म नहीं होती निजी स्कूल इंतेज़ामीया किताबें ,का स्कूल ड्रैस,और जूते मौज़े भी फ़रोख़त करने लगे हैं,ये तमाम चीज़ें बाज़ारी क़ीमत से ज़्यादा पर फ़रोख़त कर रहें हैं निजी स्कूलस।
औलिया-ए-तलबा से फिया ज़्यादा वसूल करने का एक और तरीक़ा मिल गया है,कुछ निजी स्कूल स्मार्ट क्लास के नाम परफ़ी तालिब-ए-इल्म हज़ार रोपईए ज़ाइद वसूल रहे हैं।
स्मार्ट क्लास के नाम पर फ़ीस तो वसूली जा रही है मगर साल में कुछ दिन ही ये क्लास चल रही है वो भी तलबा को कोई नज़म या कार्टून ही बताया जा रहा है।
वाज़िह हो के स्मार्ट क्लास को पढ़ाने के लईए स्मार्ट तालीम का उस्ताद होना लाज़िमी है,औलिया-ए-तलबा-ए-का ये फ़र्ज़ बनता है के अगर वो स्मार्ट क्लास की फ़ीस अदा कर रहे हैं तो पहले ये जांच लें के इस स्कूल में क्या स्मार्ट क्लास काकोई माहिर उसताज़हे भी के नहीं।