मिस्र के माज़ूल सदर हुस्नी मुबारक को एक अदालत ने क़त्ल के इल्ज़ामात से बरी कर दिया। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि हुस्नी मुबारक 2011 के इन्क़िलाब के दौरान सैंकड़ों गैर मुसल्लह एहतेजाजियों की हलाकत के ज़िम्मेदार नहीं हैं।
इस एहतेजाज के ज़रीए मिस्र में हुस्नी मुबारक के 30 साला इक़्तेदार का ख़ात्मा हो गया था। एक ड्रामाई अंदाज़ के फैसले में जज महमूद कामिल अल रशीदी ने हुस्नी मुबारक को इसराएल को गैस एक्सपोर्ट करने के मुआमला में करप्शन के इल्ज़ामात से भी बरी कर दिया है।
जज ने हुस्नी मुबारक के ख़िलाफ़ क़त्ल का मुक़द्दमा ख़ारिज करते हुए कहा कि ये मुनासिब नहीं है कि उन ( हुस्नी मुबारक) के ख़िलाफ़ ताज़ीरात के तहत मुक़द्दमा चलाते हुए जराइम साबित करने की कोशिश की जाए। हुस्नी मुबारक को जून 2012 में इन इल्ज़ामात पर उम्र कैद की सज़ा सुनाई गई थी।
आज के फैसले के ज़रीए साबिक़ा फैसले को बदल दिया गया है और अब उन्हें कोई सज़ा नहीं भुगतनी पड़ेगी।