हुज़ूरे अकरम (सल) की शान में गुस्ताख़ी नाक़ाबिले बर्दाश्त

शान रिसालत माआब (सल) में गुस्ताख़ी किसी इलाक़ा, ख़ित्ता,सूबा या मुल्क के मुसलमानों का मसअला नहीं है बल्कि ये आलमे इस्लाम के मुसलमानों के जज़बात को मजरूह करने वाला अमल है। रुए ज़मीन पर बसने वाला कोई मुस्लमान ख़ातिमुल नबी सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम की शान में गुस्ताख़ी को बर्दाश्त नहीं कर सकता और ना ही इस पर ख़ामोश रहा जा सकता है।

हिंदू महासभा के कमलेश तीवारी की जानिब से शान रिसालत में की गई गुस्ताख़ी के ख़िलाफ़ उत्तर प्रदेश के इलावा महाराष्ट्रा में भी सख़्त एहतेजाज जारी है। मुफ़क्किर इस्लाम मौलाना मुफ़्ती ख़लील अहमद शेख़ुल जामिआ निज़ामीया ने शान रिसालत में की गई गुस्ताख़ी को नाक़ाबिले बर्दाश्त क़रार देते हुए कहा कि हर मुस्लमान का ये अक़ीदा है कि नबी करीम सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम की शान में गुस्ताख़ी नाजायज़ और हराम है।

इस तरह के अमल का शदीद रद्दे अमल ज़ाहिर हो सकता है। शेख़ुल जामिआ ने बताया कि ये मसला किसी एक इलाक़ा का नहीं है बल्कि ये ख़बर जहां तक जाएगी इस पर रद्दे अमल ज़ाहिर होगा। शान रिसालत में गुस्ताख़ी को नाक़ाबिले बर्दाश्त क़रार देते हुए उन ज़िम्मा दारान मिल्लते इस्लामीया ने भी गुस्ताख के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई का मुतालिबा किया।