हुज़ूर ( स‍०अ०व०) के ख़िलाफ़ साज़िशें हमेशा की तरह नाकाम होंगी

नई दिल्ली, १९ सितंबर ( फैक्स ) पैग़ंबर इस्लाम रहमतुल आलमीन हज़रत मुहम्मद (स०अ०व०) की शान में गुस्ताख़ी पर मबनी ( बनी) अमेरीकन फ़िल्म की अमीर जमात-ए-इस्लामी हिंद मौलाना सैय्यद जलाल उद्दीन उमरी ने शदीद मुज़म्मत करते हुए इस को दुनिया भर के मुसलमानों की दिल आज़ारी करने (दिल दुखाने वाला अमल क़रार दिया और इस पर सख़्त अफ़सोस का इज़हार किया कि अमेरीका इस तरह की इस्लाम दुशमन कार्यवाईयों पर नापसंदीदगी के इज़हार के बावजूद उन को रोकने के मूसिर ( शक्तिशाली) इक़दामात ( काम) करने में नाकाम रहा है ।

अमीर जमात ने इस यक़ीन का इज़हार किया कि इस्लाम और हज़रत मुहम्मद स०अ०व० की शान को मुतास्सिर करने वाली साज़िशें पहले भी नाकाम हुई हैं और अब भी अपनी सलाहीयतें और सरमाया सिर्फ कर के कोई मुल्क और कोई गिरोह इस्लाम की हक़्क़ानियत और रहमतुल आलमीन ( स०अ०व०) की अज़मत (सम्मान/ इज्जत) को गज़ंद ( ठेस/ नुकसान/) पहुंचाने में कामयाब नहीं हो सकता है ।

लिहाज़ा अमन आलम को ग़ारत करने वाली मुआनिदाना (लापरवाही) कार्यवाईयों से इजतिनाब (नफरत/ घृणा) करते हुए लोगों को इस्लाम के पयाम अमन-ओ-नजात और मुहम्मद ( स०अ०व०) की तमाम आलिमों ( विश्व) के लिए रहमत होने की हैसियत को समझने की कोशिश करनी चाहीए । जमात के रहनुमा ने अमेरीका की दिल आज़ार ( दिल दुखाने वाली) फ़िल्म पर मुस्लिम मुल्कों में होने वाले एहतिजाज को मुस्लिम अवाम का अपने दीन और रसूल ( स०अ०व०) से बेपायाँ ( बेहद) ताल्लुक़ मुहब्बत का इज़हार क़रार देते हुए कहा कि ये बात सही ना होगी कि जुर्म का इर्तिकाब (शुरूआत) कोई शख़्स करे और दूसरे को इस की सज़ा दी जाय । इससे इस्लाम की तस्वीर बिगड़ती है ।