नूर उद्दीन महमूद और फिर इस के बाद सलाह उद्दीन अय्यूबी की पालिसीयों से ये बात वाज़िह होती है कि वो दोनों बैत-उल-मुक़द्दस को सलीबी ईसाईयों के नापाक क़बज़े से आज़ाद कराने के लिए किसी मुनासिब वक़्त का इंतेज़ार कर रहे थे। इन दोनों ने अपनी मोमिनाना हिक्मत-ओ-बसीरत से महसूस कर लिया था कि यूरोप की तमाम ईसाई कुव्वतों का मुक़ाबला करते हुए बैत-उल-मुक़द्दस पर क़ब्ज़ा करना कोई आसान काम नहीं है, क्योंकि मुसल्मानों के ख़िलाफ़ तमाम ईसाईयों के दिल अंधी नफ़रत से भरे हुए थे। इन की ताक़त को तोड्ने के लिए ज़रूरी था कि मुख़्तलिफ़ मशरिक़ी आबादीयों में मौजूद उन के खु़फ़ीया दस्तों के ठिकानों को निशाना बनाया जाए, क्योंकि ये खु़फ़ीया फ़ौजें इस इलाक़ा के अवाम में ख़ौफ़-ओ-दहश्त का माहौल पैदा करती थीं। इसी तरह इन दोनों ने बाज़ कमज़ोर और मौका परस्त मुस्लिम हुकमरानों की ख़बरगीरी भी ज़रूरी समझा, जो अपनी इक़तिदार की बक़ा की ख़ातिर कुफ़्फ़ार से मदद लेने के लिए भी तैयार थे, क्योंकि इस अज़ीम और फ़ैसलाकुन जंग के लिए मुस्लिम हुकमरानों के दरमयान सयासी वहदत और मज्बूत फ़ौजी ताक़त का होना ज़रूरी था।
नूर उद्दीन महमूद का दौर इस मक़सद की तक्मील के लिए काफ़ी नहीं था। चुनांचे इस्लामी हीरो सलाह उद्दीन अय्यूबी ने इस ज़िम्मेदारी को बहुस्न-ओ-ख़ूबी अंजाम दिया, वो इब्तेदाई तैयारीयां मुकम्मल करने के बाद सलीबियों के साथ फ़ैसलाकुन लडाइयों के लिए मुनासिब वक़्त का इंतेज़ार कर रहे थे और वो मौक़ा उस वक़्त मिल गया, जब कि कर्क के सलीबी हुकमरानों ने इस्लामी ममलकत के ताबे एक मुस्लिम तिजारती क़ाफ़िला पर ५८२ में हमला कर दिया और कर्क ये रियासत शाम और मिस्र के दरमयान वाके थी। सलाह उद्दीन अय्यूबी और इस रियासत के दरमयान मुआहिदा था और इस मुआहिदा की शीक़ की रो से इस्लामी तिजारती क़ाफ़िलों को मिस्र से शाम और शाम से मिस्र अमन-ओ-हिफ़ाज़त के माहौल में आने जाने की पूरी आज़ादी थी।
सलीबी फ़ौजों ने इस इस्लामी क़ाफ़िला के साथ बदसुलूकी की, इन के माल-ओ-अस्बाब को लूट लिया और मर्दों को क़ैदी बना लिया। मूअर्रीख़ीन ये भी रिवायत करते हैं कि ईसाई हाकिम ने मज्हब इस्लाम की तौहीन की और हुज़ूर अकरम स.व. की शान में गुस्ताख़ी की। जब ये ख़बर सलाह उद्दीन अय्यूबी तक पहुंची तो वो ग़ुस्सा से लाल हो गए और उन्हों ने क़सम खाई कि वो इस मुजरिम को ज़रूर क़त्ल करेंगे, जिस ने मुआहिदा की ख़िलाफ़वरज़ी की, मुसल्मानों पर ज़ुल्म-ओ-ज़्यादती की और मज्हब इस्लाम की तौहीन की।