हैदराबाद और सिकंदराबाद में 3 माह के दौरान सड़क हादिसात में 218 अम्वात

जुड़वां शहर हैदराबाद और सिकंदराबाद में ट्रैफिक हादिसात में दिन बा दिन इज़ाफ़ा होता जा रहा है। साल 2014 के आग़ाज़ से अब तक 3 माह के दौरान एक दो नहीं बल्कि 218 लोग मारे गए जिन में निस्फ़ तादाद नौजवानों यानी 17 ता 27 साल के दरमियान है। हादिसात में इज़ाफ़ा की वजूहात जानने की कोशिश पर कई वजूहात सामने आईं।

डॉक्टरों और पुलिस ओहदेदारों का कहना है कि ज़्यादा तर सड़क हादिसात तेज़ रफ़्तार ड्राइविंग का नतीजा है। कभी कभी एक दिन में 6 ता 8 हादिसात भी रिकॉर्ड किए गए। ऐसे हादिसात भी पेश आए जिस में माँ बेटी, माँ बेटा, बाप बेटी, बाप बेटा और मियां बीवी फ़ौत हुए। बाअज़ हादिसात में शौहर की जान गई तो बीवी बच गई और किसी वाक़िया में बेटी हलाक हुई तो माँ चल बसी।

शहर में ट्रैफिक में इज़ाफ़ा के बाइस ही हादिसात की तादाद में भी इज़ाफ़ा हो रहा है। ये हादिसात दरअसल उन की तेज़ रफ़्तारी का नतीजा है कि साल 2010 में सिर्फ़ हैदराबाद में जुमला 2797 हादिसात पेश आए थे जिन में 473 लोग मारे गए। इसी तरह 2011 में पेश आए जुमला 2651 हादिसात में 428 अम्वात हुईं। साल 2012 में पेश आए 2576 वाक़ियात में 432 जानें गईं। गुज़िश्ता साल जुमला 2338 हादिसात में 426 अफ़राद हलाक हुए।

इसकी मेन वज़ह गाड़ी बहुत तेज़ रफ़्तार से चलाना है। अगर वो किसी को टक्कर दे दें या ख़ुद हादिसा का शिकार हो जाएं तो इस से सरपरस्तों को ही बहुत बड़ा नुक़्सान होगा। हादिसात से बचने के लिए एक ही तरीका है और वो है एहतियात और सब जानते हैं कि एहतियात ईलाज से बेहतर है।