हैदराबाद: ‘दुकान’ एक ऐसा नाम जिसके बारे में सोचते ही हमें अपनी ज़रूरत का सामान और अपने महीने भर का बजट याद आ जाता है। बचपन के दिनों में दुकान को टॉफियों और चॉकलेट और कॉलेज के दिनों में कपड़ों से जोड़कर भी देखा जाता है।
कुल मिलाकर देखा जाए तो दुकान एक ऐसी जगह है जहाँ से हम ज़रुरत का हर वह सामान खरीदते हैं जो हमारी रोज़मर्रा की ज़िन्दगी का एक हिस्सा हैं। दुनिया के किसी भी कोने में चले जाइए लेकिन हर दुकान का एक ऐसा उसूल है जो जगह के साथ बदलता नहीं है और वह उसूल है पैसे का उसूल। आपको कोई भी चीज़ लेने के बदले एक रकम अदा करनी पड़ती है।
यही वजह है कि दुकानों पर भीड़ अक्सर पैसे वाले लोगों की रहती है गरीब तो कभी यूँ ही चले आते हैं दिल बहलाने। लेकिन हैदराबाद की एक दुकान ने दुकानदारी के उसूलों को किनारे करते हुए एक ऐसी दूकान शुरू की है जिसका मकसद हर गरीब की मदद करना है। इस दुकान के दरवाज़े हर उस शक्श के लिए खुले हैं जिसको बदन ढांपने के लिए कपड़ों की ज़रूरत तो है लेकिन उसे खरीद पाने के लिए पैसे उसके पास नहीं हैं।
हैदराबाद के मेहदीपट्नम इलाके की इस दूकान का नाम है ‘गुडविल स्टोर’ और इसे चलाने वाले शख्श का नाम है किरण कुमार। यह दूकान हफ्ते में दो दिन वीरवार और शनिवार के दिन खुली रहती है और लोग इन दिनों में आकर अपनी पसंद के कपडे एक भी पैसा दिए बिना लेकर जा सकते हैं।
गुडविल स्टोर नाम की यह दूकान एल.एस.एन फाउंडेशन जोकि एक नॉन प्रॉफिट संस्था है की और से चलायी जा रही है और संस्था के प्रोजेक्ट का एक हिस्सा है। इस फाउंडेशन के संस्थापक/फाउंडर मंजुला पल्लिपोयेना का मानना है कि कपड़ों जैसी मूल जरूरतें है शख्श का हक़ है जो उसे मिलना ही चाहिए। यह संस्था लोगों की तरफ से दिए नए और पुराने कपड़ों और बाकी जरुरत कर सामान को अपनी दूकान पर रखती है और ज़रूरतमंद लोगों में बांटती है। संस्था की तरफ से किए जा रहे इस काम को सिआसत हिंदी की टीम सलाम करती है।