हैदराबाद की गंगा जमुनी तहज़ीब को फ़रोग़ देने की ज़रूरत

जनाब ज़ाहिद अली ख़ान एडीटर रोज़नामा सियासत ने कहा कि रियासत तेलंगाना की तशकील अवाम के लिए एक ताबनाक मुस्तक़बिल की ज़ामिन है। ताहम हुकूमत को चाहीए कि वो ना सिर्फ़ इस रियासत को एक तरक़्क़ी याफ़्ता रियासत बनाए बल्कि हैदराबाद की बाज़याफ़्त के लिए मुख़लिसाना इक़दामात करे।

उन्हों ने कहा कि हैदराबाद की गंगा जमुनी तहज़ीब को फ़रोग़ देने की ज़रूरत है। इस शहर के बानी क़ुली क़ुतुब शाह ने चारमीनार की तामीर की थी जिस के चारों मीनार हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई इत्तिहाद और सलामती की अलामत हैं। इस तहज़ीब को ज़िंदा रखना होगा।

जनाब ज़ाहिद अली ख़ान महबूब हुसैन जिगर हॉल में मुमताज़ ड्रामा निगार और सीनियर सहाफ़ी हादी रहील की किताब शंख से अज़ान तक के तबसरा इजलास में सदारती तक़रीर कर रहे थे। उन्हों ने कहा कि हादी रहील ने इन ड्रामों के ज़रीए तारीख़ी सदाक़तों को अपनी फ़नकाराना ख़ूबीयों के साथ पेश किया है।

उर्दू में ड्रामे लिखने का रुजहान बहुत कम है और अब तो ड्रामों को स्टेज करना मुश्किल हो गया है। बर्तानिया में आज भी अवाम में स्टेज ड्रामों का शौक़ो ज़ौक़ पाया जाता है। हिंदुस्तान में भी मराठी ड्रामों को उरूज हासिल हुआ।

कृष्ण चन्द्र का ड्रामा दरवाज़े खोल दो काफ़ी मक़बूल हुआ। इसी तरह उर्दू ज़बान से हिंद – पाक अवाम की बेएतिनाई को ड्रामा बड़े घर की बेटी में उजागर किया गया है।

उन्हों ने हादी रहील की किताब पर तबसिरा करते हुए ये भी कहा कि इस किताब का उनवान अज़ान से शंख तक होना चाहीए था जोकि बाबरी मस्जिद तनाज़ा के पसमंज़र को उजागर करता है। हादी रहील ने इस ड्रामे में फ़िर्कावाराना यकजहती को निहायत ख़ूबी से पेश किया है।