हैदराबाद ब्लास्ट: ओवैसी ने लगाया जांच एजेंसीयों पर सांप्रदायिक पूर्वाग्रह का आरोप, कहा दूसरे मामलों में इतनी तेज़ी क्यों नहीं दिखाती एजेंसी

दिलसुखनगर विस्फोट मामले में पांच आरोपियों को हैदराबाद कोर्ट के द्वारा मौत की सजा के फैसले को स्वीकार करते हुए, एआईएमआईएम अध्यक्ष और लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने इस मामले में सांप्रदायिक पूर्वाग्रह के शामिल होने का शक जताया है।

ओवैसी ने सवाल किया है कि क्या आरोपियों को ‘जल्द’ सजा उनकी पहचान की वजह से हुयी है?

सोमवार को एनआईए की विशेष अदालत ने दिलसुखनगर विस्फोट मामले में इंडियन मुजाहिदीन के सह-संस्थापक यासीन भटकल और चार अन्य लोगों को मौत की सजा सुनाई है जबकि विस्फोट का मुख्य आरोपी और मुख्य षड्यंत्रकारी रियाज भटकल अभी भी पुलिस की पहुँच से से बाहर है।

ओवैसी ने मंगलवार को ट्वीट करते हुए सवाल किया कि क्या एनआईए उन मामलों में भी इतनी तेजी से कार्यवाही कर रही है जिनमें गैर मुस्लिम आरोपी शामिल हैं?

अपने ट्वीटों में उन्होंने सवाल किया कि जांच एजेंसीयां और अदालतें, मक्का मस्जिद ब्लास्ट, मालेगांव ब्लास्ट, अजमेर ब्लास्ट जिनमें संघ से सम्बंधित आरोपी शामिल हैं, उन मामलों में ऐसी तेज़ी क्यों नहीं दिखा रही हैं?

उन्होंने लम्बे समय से अटके बाबरी मस्जिद केस में भी एजेंसीयों के रवय्ये के ऊपर सवाल उठाया।

हालाँकि, उन्होंने अदालत के फैसले को स्वीकारते हुए कहा कि आतंकवादियों को सजा मिलनी चाहिए।