हज के दौरान मक्का मुकर्रमा में रबात निज़ाम हैदराबाद में साबिक़ रियासत हैदराबाद से ताल्लुक़ रखने वाले आज़मीन के क़ियाम का मसअला ऐसा लगता है कि क़ौंसिलख़ाना हिंद जद्दा और सेंट्रल हज कमेटी की जानिब से बरवक़्त हल नहीं किया जाता है तो इस बात का ख़द्शा है कि जारीया साल भी इस इलाक़ा से ताल्लुक़ रखने वाले आज़मीन रबात में क़ियाम करने से महरूम रह जाएंगे। रबात में क़ियाम की इजाज़त के नतीजा में फ़ी आज़िम तकरीबन 28,000 रुपये की बचत होगी।
अगरचे इस ख़सूस में कौंसिल जेनरल हिंद जद्दा जनाब फ़ैज़ अहमद क़िदवाई ने पहल करते हुए 19 फ़ेब्रुअरी को एक मकतूब चीफ एग्ज़ीक्यूटिव ऑफीसर हज कमेटी ऑफ़ इंडिया को रवाना की जिस की नकूलात सी ई ओ आंध्र प्रदेश हज कमेटी, जनाब क़ासिम रज़ा सेक्रेट्री औक़ाफ़ कमेटी ऑफ़ एच ई एच दी निज़ाम हैदराबाद और जनाब हुसैन मुहम्मद अलशरीफ़ नाज़िर रबात निज़ाम हैदराबाद को रवाना की गई।
जनाब हुसैन मुहम्मद अल शरीफ़ ने कहा कि वो हिंदुस्तानी हुक्काम से उम्मीद रखते हैं कि वो मसअले की नज़ाकत महसूस करते हुए नाज़िर रबात के उसूली मौक़िफ़ को तस्लीम कर लेंगे और रबात में क़ियाम के लिए ऑन लाइन क़ुरआ अंदाज़ी के ज़रीए मुंतख़ब कर्दा आज़मीन को क़ियाम की इजाज़त मिलेगा।
याद रहे कि नाज़िर रबात से तआवुन वो इशतराक किया जाता है तो वो दो इमारतों में तकरीबन 400 आज़मीन को क़ियाम की सहूलत फ़राहम करेंगे जिस से आज़मीन की मजमूई तौर पर 1.20 करोड़ रुपये की बचत होगी।