हैदराबाद शहर हर दिन तारीकी में डूब रहा है

हैदराबाद 11 जून: शहर में अवामी नुमाइंदे और हुकूमत शहरीयों के मसाइल का एसी कमरों में मुज़हका उड़ा रहे हैं और उनकी बदहाली पर ख़ामोश तमाशाई बने हुए हैं।

हैदराबाद में बिला वक़फ़ा-ओ-मयारी बर्क़ी सरबराही एक ख़ाब बनती जा रही है। शहर का कोई इलाका एसा नहीं है जहां बर्क़ी सरबराही का मसला पैदा नहीं हो रहा है। छत्ताबाज़ार दीवानदेवढ़ी के इलाक़ों में पिछ्ले शब वोल्टेज में कमी-ओ-ज़्यादती की वजह से इलेक्ट्रॉनिक अश्याय जल जाने की शिकायात मौसूल हुई हैं जिसके सबब शहरीयों को लाखों का नुक़्सान बर्दाश्त करना पड़ रहा है। दोनों शहरों के मुख़्तलिफ़ इलाक़ों में एन इफ़तार और सह्र के वक़्त बर्क़ी सरबराही मुनक़ते होने के सबब अवाम को तकालीफ़ का सामना करना पड़ रहा है लेकिन ओहदेदार ये कहते हुए दामन झाड़ने की कोशिश कर रहे हैं कि हंगामी सूरत-ए-हाल के सबब बर्क़ी सरबराही मुनक़ते की जा रही है लेकिन बसा-औक़ात एसा महसूस हो रहा है कि बाज़ ओहदेदार तकलीफ़ देने की ग़रज़ से ही इन औक़ात कार में बर्क़ी सरबराही मुनक़ते कर रहे हैं और ये एहसास अवाम के ज़हनों में पैदा होने लगा है। मुंख़बा अवामी नुमाइंदे बर्क़ी सरबराही के इस मसले पर ख़ामोश तमाशाई बने हुए हैं और अवाम उन तकालीफ़ के सबब मुश्किलात से दो-चार होते जा रहे हैं।

छत्ताबाज़ार और दीवान देवढ़ी के इलाक़ों में वोल्टेज के मसाइल की सह्र के वक़्त शिकायात के लिए फ़ोन काल किए जाने के बाद ये कह दिया गया कि सुबह दस बजे से पहले कुछ नहीं किया जा सकता अवाम ने शिकायात की के वोल्टेज में कमी-ओ-ज़्यादती के सबब फ़रीज और एयर कूलर की मोटर्स जल चुकी हैं कई घरों में टयूब लाइट्स में अचानक जलने की बू पैदा होने लगी। महिकमा बर्क़ी के एक आला ओहदेदार ने बताया कि शहरी इलाक़ों में माह गर्मा के दौरान बर्क़ी सरबराही के इंतेज़ामात को बेहतर बनाने के लिए शट डाउन की इजाज़त ना दिए जाने के सबब ये सूरत-ए-हाल पैदा हुई है लेकिन फ़िलहाल सिर्फ हंगामी मेंटनेंस के लिए बर्क़ी सरबराही मुनक़ते की जा रही है। उन्होंने बताया कि हैदराबाद-ओ-सिकंदराबाद के इलाक़ों में माह मार्च-ओ-अप्रैल के दौरान सरबराही को बेहतर बनाने के इक़दामात ना किए जाने के सबब ये मसाइल पैदा हो रहे हैं।

बावसूक़ ज़राए से मौसूला इत्तेलाआत के मुताबिक माह रमज़ान उल-मुबारक के दौरान बर्क़ी सरबराही में ख़लल एक बड़े स्कैम का हिस्सा है और इस स्कैम में इलाके वारी असास पर ओहदेदार ख़ुद शामिल हैं जिसकी वजह से वो अवामी शिकायात पर तवज्जा देने के बजाये टाल मटोल से काम लेते हुए वक़्त गुज़ारी कर लेते हैं और रमज़ान उल-मुबारक के गुज़र जाने के बाद कोई इस मसले पर सवाल नहीं करता। बताया जाता है कि ना सिर्फ ओहदेदार बल्के बाज़ सियासी लोग भी इस बड़े पैमाने पर होने वाली धांदली का हिस्सा हैं इसी लिए वो भी अवाम को होने वाली तकालीफ़ पर ख़ामोश बैठे हुए हैं। स्कैम की तफ़सीलात के मुताबिक माह रमज़ान उल-मुबारक के दौरान तिजारती बिरादरी की तरफ से जो इज़ाफ़ी रोशनीयां की जाती हैं उनके लिए क़बल अज़ वक़्त इजाज़तनामा हासिल नहीं किया जाता और अगर किया भी जाता है तो मामूली चालान अदा करते हुए इज़ाफ़ी बर्क़ी इस्तेमाल करने की इजाज़त देदी जाती है और इस के लिए ओहदेदार भारी रक़ूमात हासिल करलेते हैं।

पुराने शहर के कई इलाक़ों में जहां ख़ुसूसी बाज़ार लगाए जा रहे हैं इन बाज़ारों में इस्तेमाल होने वाली बर्क़ी के मुताल्लिक़ भी महिकमा बर्क़ी के विजिलेंस ओहदेदार शुबहात रखते हैं लेकिन उनका अज़ाला करने से मुताल्लिक़ा ओहदेदार क़ासिर नज़र आते हैं।

दोनों शहरों के कई इलाक़ों में बर्क़ी के मसाइल पैदा हो रहे हैं लेकिन जिन इलाक़ों में सबसे ज़्यादा मसाइल पैदा होर है हैं उनमें एसे इलाक़ों की अक्सरीयत है जहां माह रमज़ान उल-मुबारक के दौरान सरगर्मीयां उरूज पर होती हैं। पुराने शहर के इलाक़ों के अलावा टोली चौकी मह्दीपटनम पंजागुट्टा यूसुफ़गुड़ा नामपल्ली चादरघाट मलकपेट में बर्क़ी सरबराही में पैदा होने वाले ख़लल पर अवाम में ब्रहमी पाई जाती है।

ओहदेदार ये कहते हुए अवाम को टाल रहे हैं कि ट्रांसफ़ारमर पर इज़ाफ़ी बोझ आइद होने के सबब बर्क़ी सरबराही में ख़लल पैदा हो रहा है जबकि हक़ीक़ी वजूहात से ओहदेदार वाक़िफ़ हैं कि क्यों सिर्फ इन इलाक़ों में बर्क़ी सरबराही मुनक़ते हो रही है जहां अक़लियती आबादीयां हैं।