हैदराबाद 29 जुलाई:हिंदुस्तानी मीज़ाईल मैन और साबिक़ सदर जमहूरीया ए पी जे अब्दुल कलम का हैदराबाद से ख़ुसूसी ताल्लुक़ रहा है। इन दोनों की एक दूसरे से अटूट यादें वाबस्ता हैं।
यही वो हैदराबाद है जिस के इलाक़ा कंचनबाग़ में वाक़्ये इदारा बराए दिफ़ाई तहक़ीक़ तरक़्क़ी (डी आर डी ओ) से डॉ अब्दुल कलम 1983 के अवाइल में वाबस्ता हुए थे जहां 10 साल तक बहैसीयत डायरेक्टर गिरांक़द्र ख़िदमात अंजाम दिए और इस के चीफ़ एग्जीक्यूटिव की हैसियत से इंटीग्रेटेड गाईडीड मीज़ाईल डेवलपमेंट प्रोग्राम की रहनुमाई की थी।
डॉ ए पी जे अब्दुल कलम की सरकर्दगी और क़ियादत में ही हैदराबाद में वाक़्ये दिफ़ाई इदारा डी आर डी एल ने ज़मीन से ज़मीन पर वार करने वाले परथीवी मीज़ाईल के अलावा मुख़्तसर फासलाती ज़मीन से फ़िज़ा-ए-में वार करने वाले त्रिशूल मीज़ाईल, ज़मीन से फ़िज़ा में वार करने वाले औसत फासलाती मीज़ाईल आकाश और तोप शिकन नाग मीज़ाईल तैयार किया था और सब से बड़ा कारनामा अग्नी है।
तवील फ़ासलों तक वार करने वाले हिंदुस्तानी साख़ता अग्नी मीज़ाईल न्यूक्लियर हमले की सलाहीयत रखते हैं। उन्होंने हैदराबाद के नवाह में 2100 एकऱ् अराज़ी पर दिफ़ाई तहक़ीक़ी इमारत का क़ियाम अमल में लाया जहां मुल्क भर के इंतेहाई क़ाबिल और बासलाहीयत तरीन साईंसदानों को मीज़ाईल टेक्नोलोजी के फ़रोग़ में अपनी सलाहीयतों का मुज़ाहरा करने और उलूम हासिल करने के मवाक़े फ़राहम किए गए हैं।
अब्दुल कलम ना सिर्फ़ एक साईंसदाँ थे बल्कि कई नौजवान साईंसदानों को मुतआरिफ़ करवाया है जिन में ख़ातून साईंसदाँ टीसी थॉमस भी शामिल हैं।