‘हैदराबाद से बी जे पी का सफ़ाया अमानुल्लाह खान का कारनामा’

हैदराबाद से भारतीय जनता पार्टी (बी जे पी) का ख़ातमा मरहूम क़ाइद ग़ाज़ी मिल्लत अल्हाज अमानुल्लाह खान ने किया और पुराने शहर को मुसलमानों के ताक़तवर क़िला में तबदील करने का सहरा उन्ही के सर जाता है।

डॉ क़ायम ख़ां सदर मजलिस बचाव‌ तहरीक-ओ-उम्मीदवार हलक़ा असेंबली चंदरायनगुट्टा ने बारकस में मुनाक़िदा अज़ीमुश्शान चुनाव जल्सा-ए-आम से ख़िताब के दौरान ये बात कही।

उन्होंने बताया कि जो लोग आज दौलत के बलबूते पर ग़रीब की ग़ुर्बत का मज़ाक़ उड़ा रहे हैं उन्हें इस बात को याद रखना चाहीए कि दौलत ,इज़्ज़त ,शौहरत या उरूज हरवक़त के लिए किसी के साथ नहीं रहते बल्कि जब तकब्बुर सर चढ़ कर बोलने लगता है तो अल्लाह एसे मुतकब्बिर को ज़ेर करते हुए उसे सज़ा देते हैं।

उन्होंने बताया कि चुनाव माहौल में उसूलों और मसाइल के हल की बुनियाद पर सियासत दरुस्त है लेकिन जब सियासी तौर पर अगर कोई ख़ुद को नाक़ाबिल-ए-तसख़ीर समझने लगता है तो उसे ये जान लेना चाहीए कि अवाम भी आज़माऐ हुए को सिर्फ़ उस वक़्त तक आज़माती है जब तक वो बर्दाश्त की मुतहम्मिल होती है।

क़ायम ख़ां ने बताया कि हलक़ा असेंबली चंदरायनगुट्टा के अवाम की बर्दाश्त की हदें अब ख़त्म होचुकी है चूँकि हलक़ा असेंबली चंदरायनगुट्टा के ग़यूर अवाम ने 23 साल तक ग़ाज़ी मिल्लत का दौर भी देखा है और 15 साल से एक एसे क़ाइद को भी देख रहे हैं जो ना सिर्फ़ अवाम को बेबुनियाद इल्ज़ामात के ज़रीये गुमराह करने के आदी है बल्कि उनके मज़ालिम तमाम हदूद से गुज़र चुके हैं।

क़ायम ख़ां ने बताया कि पिछ्ले 15 साल के दौरान हलक़ा असेंबली चंदरायनगुट्टा की अक्सरीयती इलाक़ों में मौजूद मसाजिद के अलावा क़ुबूर को मिस्मार किया गया लेकिन क़ियादत ख़ामोश तमाशाई बनी रही।

इसी तरह चंदरायनगुट्टा से क़रीब जी एम आर एयरपोर्ट की तामीर के सिलसिले में मस्जिद उम्र फ़ारूक़ को शहीद कर दिया गया इस के बावजूद क़ियादत ख़ामोश रही।

क़ायम ख़ां ने इस्तिफ़सार किया कि 15 सालों के दौरान आख़िर कौनसा कारनामा मुताल्लिक़ा रुकन असेंबली ने अंजाम दिया जिस की बुनियाद पर वो ख़ुद को वोट के मुस्तहिक़ क़रार दे रहे हैं।

उन्होंने बताया कि दौलत के ग़रूर और नशा में जिस अंदाज़ की गुफ़्तगु की जा रही है वो मुसलमानों के लिए नाक़ाबिल-ए-बर्दाश्त है क्युंकि जिस दौलत-ओ-ग़रूर का नशा ज़ाहिर किया जा रहा है वो एक फ़ानी शए है जबकि मिल्लत-ए-इस्लामीया के लिए कोई असासा छोड़ा जाता है वो लाफ़ानी होजाता है बल्कि रोज़ मह्शर इस का बदल भी हासिल होने की उम्मीद की जा सकती है।

लेकिन हलक़ा असेंबली चंदरायनगुट्टा के रुकने असेंबली शायद इस बात को फ़रामोश करते हुए ओक़ाफ़ी जायदादों की तबाही के मुर्तक़िब बन रहे हैं।