हैदराबाद, फ़न-ए-क़ेराअत का सब से बड़ा तरबियती मर्कज़

( नुमाइंदा ख़ुसूसी) : हमारे शहर हैदराबाद फ़र्ख़ंदा बुनियाद को सारे हिंदुस्तान में इस बात का एज़ाज़ हासिल है कि यहां क़दीम और तारीख़ी मसाजिद और दीनी मदारिस की कसरत है खासतौर पर जुनूबी हिंद की अज़ीम दीनी दरसगाह जामिआ निज़ामीया शहरीयाने हैदराबाद के लिये बाइस बरकत बनी हुई है।

हमारे शहर हैदराबाद को इस लिहाज़ से भी दीगर शहरों पर फ़ौक़ियत हासिल है कि यहां हर दौर में उल्मा, मुफ़्ती, कोरा-ए-किराम और माहौल को अहादीस रसूल से मुअत्तर करने वाली शख्सियतों की पज़ीराई की गई। यही वजह है कि आज शहर हैदराबाद को हिंदुस्तान में फ़न क़ेराअत की तरबियत का सब से बड़ा मर्कज़ कहा जाता है।

क़ारईन क़ुरआन मजीद के बारे में आलमे इस्लाम में ये बात बहुत मशहूर है कि क़ुरान-ए-पाक नाज़िल हुआ अरब में, पढ़ा गया मिस्र में और समझा गया हिंद में। चुनांचे हैदराबादियों ने फ़न क़िराते कलाम पाक पर बहुत ज़्यादा तवज्जा मर्कूज़ की जिस के बाइस हमारे शहर में फ़न तज्वीद के ज़ाइद अज़ 200 और फ़न क़ेराअत के तक़रीबन 20 ता 30 मराकज़ चलाए जा रहे हैं।

इन में से एक मुमताज़ इदारा इक़रा क़ेराअत सोसाइटी भी है। 20 जुलाई 1986 को मुल्क के नामवर और आलमी शोहरत याफ़्ता क़ारी, क़ारी अब्दुल क़य्यूम शाकिर ने ये बाबरकत इदारा क़ायम किया। साबिक़ ख़तीब जामा मस्जिद मुअज़्ज़म पूरा, मले पल्ली, क़ारी मुहम्मद अब्दुल अलीम साहब इस सोसाइटी के पहले सदर थे। हम ने शहर में फ़न क़ेराअत के तरबियती मराकज़ की तादाद में इज़ाफ़ा और मक्का मस्जिद में हर इतवार को मुनाक़िद की जाने वाली फ़न क़ेराअत की तरबियती क्लास से मुतास्सिर हो कर क़ारी अब्दुल क़य्यूम शाकिर से बात की।

उन्हों ने बताया कि गुज़िश्ता 28 बर्सों के दौरान इक़रा क़ेराअत सोसाइटी ने तक़रीबन 20 हज़ार तलबा को फ़न तज्वीद सिखाया। एक सवाल के जवाब में क़ारी साहिब ने बताया कि फ़न क़ेराअत सीखने हर रोज़ तलबा आते हैं लेकिन इन में से बहुत कम ही कोर्स मुकम्मल करते हैं।

क़ारी अब्दुल क़य्यूम शाकिर जिन्हों ने बंगलादेश, मलेशिया और इंडोनेशिया में मुनाक़िद शुदनी आलमी मुक़ाबला क़ेराअत में हिंदुस्तान की नुमाइंदगी का एज़ाज़ हासिल कर चुके हैं। उन्हों ने अहादीस मुबारका के हवाले से बताया कि क़ुरान मजीद को तज्वीद के साथ और अच्छी आवाज़ से पढ़ना चाहीए।

क़ारी अब्दुल क़य्यूम शाकिर ने इस सिलसिले में कई अहादीस के हवाले दीए और कहा कि हुज़ूर अकरम (सल)का इरशाद मुबारक है क़ुरआन मजीद को अच्छी आवाज़ के ज़रीए ज़ीनत बख़्शो। आख़िर में उन्हों ने बताया कि हमारे शहर में मुख़्तलिफ़ इदारे अपने अपने तौर पर फ़न क़ेराअत और तज्वीद की ख़िदमत में मसरूफ़ हैं जो यक़ीनन शहरीयाने हैदराबाद की ख़ुशक़िसमती है।