पटना धमाके में जिस हैदर का नाम आ रहा है, वह रांची के मणिटोला का रिहायसी है। वह इंडियन मुजाहिद्दीन (आइएम) में नंबर दो के पोजिशन पर है। हैदर असल तौर से बिहार के औरंगाबाद का रिहायसी है। रांची के मणिटोला में उसके वालिद रहते थे। वह उन्हीं के साथ रहता था। इसी मुहल्ले में रहनेवाले एक सख्स से उसने अरबी ज़ुबान सीखी और मजहबी जानकारी हासिल की। इसके बाद वह तहसीन उर्फ मोनू और आइएम सरबराह यासीन भटकल के राब्ते में आया।
यासीन भटकल की गिरफ्तारी के बाद तहसीन तंजीम में नंबर-वन के पोजिशन पर है, जबकि हैदर दूसरे पोजिशन पर। तहसीन पर हुकूमत ने 10 लाख और हैदर पर पांच लाख का इनाम रखा है। धमाके के मुखतलिफ़ मामलों में नाम आने के बाद हैदर अंडर ग्राउंड हो गया था। ज़राये के मुताबिक रांची आने पर वह धुर्वा थाना इलाक़े के सीठियो में इम्तियाज के घर पर रहा करता था।
वहीं रह कर उसने सीठियो गांव के इम्तियाज, तौफिक, तारिक और नुमान को तंजीम में काम करने की ट्रेनिंग दी। हैदर ने रांची के दर्जन भर नौजवानों को तंजीम से जोड़ा है, जिनकी तालाश पुलिस कर रही है। पुलिस को यह भी पता चला है कि कई ऐसे नौजवान, जो हैदर के साथ तो रहा, एक़्तेसादी मदद भी की। लेकिन, किसी तशद्दुद सरगरमियों में शामिल नहीं रहा।
कांटाटोली में दो साल तक मजहब तब्दील कर रहा तहसीन
पुलिस व एनआइए को तफ़सीश में पता चला है कि आइएम का तहसीन उर्फ मोनू रांची में करीब दो साल तक रहा। वह कांटाटोली में भाड़े के मकान पर मजहब तब्दील कर रह रहा था। पुलिस ने उस घर का भी पता लगा लिया है, लेकिन वहां अब कुछ भी नहीं है। मोनू यहीं रह कर तंजीम का काम करता था। तहसीन समस्तीपुर का रहनेवाला है। यासीन भटकल की गिरफ्तारी के बाद आइएम का सरबराह बने तहसीन को पटना में हुए सीरियल धमाके का मास्टर माइंड बताया जा रहा है। हाल के सालों में मुंबई, हैदराबाद, पूणो, बेंगलुरु में हुए धमाके के मामले में पुलिस और एनआइए को उसकी तालाश है।