रमज़ानुल मुबारक के आग़ाज़ के बाद अगर्चे मसाजिद में इबादत करने वालों का हुजूम देखा जा रहा है लेकिन सड़कों पर रमज़ानुल मुबारक के एहतेराम पर अभी भी कोई ख़ास तवज्जा नहीं।
खरीदारी के लिए निकलने वाली ख़्वातीन और अफ़राद को अभी भी सड़कों पर खाते और पीते हुए देखा जा रहा है जिस के सबब रोज़ादार अफ़राद को इन इलाक़ों से गुज़रने में दुशवारी महसूस हो रही है।
पुराने शहर के तिजारती इलाक़ों में रमज़ान की खरीदारी का आग़ाज़ हो गया और रोज़ा के औक़ात में खरीदारी में मसरूफ़ मर्द और ख़्वातीन बाअज़ होटलों और ठेला बंडियों पर मुख़्तलिफ़ एशिया खरीद कर खाते देखे जा रहे हैं।
इस के इलावा मुख़्तलिफ़ जूस की दुकानें भी रोज़ा के औक़ात में आबाद हैं। इस फैसला का मक़सद दीगर होटलों और ग़िज़ाई एशिया फ़रोख़्त करने वाली दुकानों को तरग़ीब देना है ताकि वो भी दोपहर तक कारोबार बंद रखते हुए रमज़ान के एहतेराम को यक़ीनी बनाएं।