बिरसा मुंडा मार्कजी जेल, होटवार में उम्र क़ैद की सजा काट रहे 130 बंदियों ने ख़्वाहिश मौत की मुतालिबात की है। बंदियों ने इसे लेकर जेल सुप्रीटेंडेंट अशोक चौधरी को दरख्वास्त दिया है। वहीं इसकी कॉपी सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस, झारखंड हाइकोर्ट के चीफ़ जस्टिस, सदर, वजीरे आजम, वजीरे दाखला, क़ौमी इंसानी हुकुम कमीशन, वजीरे आला, गवर्नर व जेल आइजी समेत कई अफसरों को भेजी है।
उम्र क़ैद की सजा काट चुके बंदियों का कहना है कि वे 14 साल या फिर 20 साल से ज़्यादा की सजा काट चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट के रौशनी में झारखंड रियासत सजा तजवीज काउंसिल की तशकील किया गया था। इसमें हर तीन माह में बैठक कर बंदियों को छोड़ने की तजवीज था। लेकिन, 20 जून 2014 के बाद से सजा की दुबारा तजवीज काउंसिल की बैठक नहीं हुई। बंदियों ने कहा है कि उम्र क़ैद की सजा काट चुके बंदी अब मायुश हो गये हैं।
इससे जेल में ख़ुदकुशी की रुझान बढ़ेगी। बंदियों का कहना है कि इसके पहले जितने भी गवर्नर व वजीरे आला हुए हैं, उनके मुद्दत में करीब 400 उम क़ैद की सजा काट चुके बंदी रिहा हो चुके हैं। बंदियों ने कहा है कि नक्सली व उग्रवादी आये दिन गांव व शहर में कत्ल ए आम को अंजाम दे रहे हैं। इसके बावजूद उनके लिए हुकूमत बसाने की पॉलिसी के तहत सरकारी नौकरी व दीगर सहूलतें दे रही है।
उन्हें ओपेन जेल में रखा जा रहा है। हमलोगों ने हालात की वजह से जुर्म किया, जिसका हमें तौबा भी की है। मुश्तकबिल में किसी क़िस्म का जुर्म नहीं करने का हदफ़ भी ले रहे हैं। इसके बाद भी हुकूमत अगर हमें रिहा नहीं करती है, तो ख़्वाहिश मौत का हुक्म मंजूर कर दे, इसे तमाम 130 बंदी खुशी-खुशी कुबूल कर लेंगे।