भोपाल ०३ जनवरी: (पी टी आई) ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड ने आज मर्कज़ के हक़ तालीम क़ानून पर शदीद नुक्ता चीनी की और इल्ज़ाम आइद किया कि इस क़ानून के नतीजा में अक़ल्लीयती इदारे बिशमोल दीनी मदारिस अपनी शनाख़्त खो देंगी।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड के सैक्रेटरी मौलाना वली रहमानी ने बताया कि पी टी आई को बताया कि मर्कज़ एक तरफ़ दस्तूर की दफ़ा 30 के तहत अक़ल्लीयती इदारों की बात करता है, और दूसरी तरफ़ बरअक्स इक़दामात किए जा रहे हैं। दस्तूर की इस दफ़ा के तहत अक़ल्लीयतें अपनी तालीम का मर्ज़ी के मुताबिक़ इंतिख़ाब कर सकती हैं।
उन्हों ने कहा कि नए हक़ तालीम क़ानून में ये सर अहित की गई है कि हर मुआमले को बिशमोल तालीम की जगह, मुफ़्त तालीम की उम्र, वालदैन की ज़िम्मेदारीयां और क्या पढ़ा जाय क्या ना पढ़ा जाए, इन सब पर मर्कज़ की मर्ज़ी मुसल्लत होगी। उन्हों ने कहा कि ऐसे हालात में तमाम अक़ल्लीयती इदारे अपनी शनाख़्त और मौक़िफ़ खो देंगे और उन्हें अपनी मर्ज़ी के मुताबिक़ तालीम का हक़ हासिल नहीं रहेगा।
वो अपनी लिसानी शनाख़्त के तहफ़्फ़ुज़ में भी नाकाम रहेंगी। इस के इलावा वालदैन केलिए अपने बच्चों की अपनी मादरी ज़बान-ओ-तहज़ीब में तर्बीयत अहम मसला बन जाएगी। मौलाना मुहम्मद वली रहमानी ने कहा कि नए हक़ तालीम क़ानून के तहत अक़ल्लीयतों की जानिब से चलाए जाने वाले मदारिस, स्कूलस और दीगर तालीमीइदारा जात अज़खु़द अपनी शनाख़्त खोदींगी, क्योंकि ये नया क़ानून बतदरीज सराएत करने वाला ज़हर है।
उन्हों ने कहा कि हक़ तालीम क़ानून में पाई जाने वाली तमाम ख़ामीयों से वज़ीर फ़रोग़ इंसानी वसाइल कपिल सिब्बल को क़बल अज़ वक़्त मतला करदिया गया था। मौलाना वली रहमानी ने कहा कि जिस वक़्त उन की कपिल सिब्बल से मुलाक़ात हुई थी , उन्हों ने ये सारी बातें वज़ीर मौसूफ़ को सामने रखी थीं और उन तमाम नकात से ज़रीया मुरासलत वाक़िफ़ किराया गया जो अक़ल्लीयती इदारों के हक़ में नुक़्सानदेह है।
इस के इलावा अक़ल्लीयती इदारों के इंतिज़ामीया और असातिज़ा के ख़िलाफ़ ओहदा के बेजा इस्तिमाल के अंदेशों पर भी तशवीश ज़ाहिर की गई। उन्हों ने कहा कि इस नए क़ानून के तहत तमाम तलबा को सिर्फ बारहवीं जमात में इमतिहान का सामना करना होगा और इस से पहले उन के लिए तालीम लाज़िमी रहेगा और वो अज़खु़द आला जमातों में बढ़ते रहेंगे।
इन तलबा की तालीमी कारकर्दगी का कोई मयार ही नहीं होगा। इस के इलावा दूसरा मनफ़ी पहलू ये है कि 10 साला कोई भी लड़का या लड़की अपनी उम्र की मुनासबत से किसी तरह का टेस्ट लिखे बगै़र ही रास्त दाख़िला हासिल कर सकते हैं। उन्हों ने कहा कि इस तरह के रास्त दाख़िलों के नतीजा में जमात में मौजूद दीगर ज़हीन और बासलाहीयत तलबा पर मनफ़ी असर पड़ेगा।