हक़ मालूमात क़ानून में तरमीम का हुकूमत की जानिब से दिफ़ा

हुकूमत ने आज सियासी पार्टीयों को एहतिसाब के दायरेकार से बाहर रखने के मक़सद से हक़ मालूमात क़ानून में तरमीम के फ़ैसले का दिफ़ा करते हुए कहा कि सियासी पार्टीयां सरकारी महिकमे नहीं हैं बल्कि अवाम की रज़ा काराना तंज़ीमें हैं । मर्कज़ी काबीना ने हक़ मालूमात क़ानून में कल दो तरमीमात की मंज़ूरी दी है ताकि सी आई सी के एक हुक्म को कुलअदम क़रार दिया जा सके कि सियासी पार्टीयों को भी हक़ मालूमात क़ानून के दायरेकार में होना चाहीए ।

अपने इक़दाम को जायज़ क़रार देते हुए मर्कज़ी वज़ीर-ए-क़ानून कपिल सिब्बल ने प्रैस कान्फ़्रैंस के दौरान कहा कि सियासी पार्टीयां सरकारी महिकमा नहीं है । सियासी पार्टी अफ़राद की एक रज़ा काराना अंजुमन होती है । लोग सियासी पार्टी में शामिल भी होसकते हैं और तर्क-ए-ताल्लुक़ भी कर सकते हैं ।उन्होंने कहा कि हम मुंतख़ब होते हैं हमारे ओहदेदारों की तरह तक़र्रुर नहीं किया जाता ।

काबीना ने इस बुनियाद पर कि सियासी पार्टीयां सरकारी महिकमा नहीं हैं कहा है कि वो हक़ मालूमात क़ानून के दायरेकार में शामिल नहीं है । कपिल सिब्बल ने कहा कि सियासी पार्टीयां सिर्फ़ रजिस्टर्ड शूदा और क़ानून अवामी नुमाइंदगी के तहत मुस्लिमा होती है ।सियासी पार्टीयां अगर हक़ मालूमात क़ानून के तहत लाई जाएं तो वो कारकरद नहीं रह सकेंगी ।

उन्होंने कहा कि पार्टी में हमारे ज़हन खुले होते हैं । वज़ीर ने इद्दिआ किया कि अगर सियासी पार्टीयों को इस क़ानून के दायरेकार के तहत लाया जाये तो कई दरख़ास्तों का सेलाब आजाएगा जिस में उम्मीदवार के इंतेख़ाब के बारे में मालूमात तल्ब की जाएंगी जो इज़हार-ए-नाराज़गी करचुका हो या इस फ़ैसले से इख़तिलाफ़ राय करचुका हो।

ऐसे दीगर कई हस्सास तफ़सीलात के बारे में मालूमात तल्ब की जाएंगी । इन्फ़ार्मेशन कमिश्नर्स का इद्दिआ है कि वो सरकारी महिकमा नहीं है । सिर्फ़ इस लिए कि उन्हें ठोस रक़ूमात हासिल होती है । अगर रक़ूमात के हुसूल को ही बुनियाद क़रार दिया जाये तो तमाम सियासी पार्टीयां भी जो अवाम से रक़ूमात हासिल करती है इसी ज़मुरा में शामिल की जा सकती हैं ।