रसूल उल्लाह के सहाबा ए किराम अल्लाह ताला की इनायत ख़ास और फ़ज़ल-ओ-करम यानी अपनी सहाबीयत की अमली शुक्रगुज़ारी इताअत हक़तआला , इत्तेबा रसूल ए अकरम और राह-ए-हक़ में हर तरह की कुर्बानियों के ज़रीया किया करते। इबादात, पैरवीएसून्नत, इख़लास अमल, ज़ौक़ ए जिहाद-ओ-शौक़ ए शहादत इस हक़ीक़त के मुनव्वर पहलू हैं।
रसूल उल्लाह (स. व.) की सोहबत ए अक़्दस और निगाह रहमत ने उन्हें इशक़ ए इलाही की दौलत लाज़वाल से नवाज़ दिया चुनांचे हर सहाबी रसूल ए मक़बूल इस हक़ीक़त के पैकर थे उसी बिना पर ख़ालिक़ कौनैन ने इन तमाम अज़ीम उल्मरतबत हस्तियों को अपनी रज़ा के अनुवाद से सरफ़राज़ फ़र्मा दिया। जिन की ताबनाकीयां चर्ख़ हिदायत के दरख़शां सितारों की सूरत में सुबह क़यामत तक बाक़ी-ओ-बरक़रार रहेगी उन्ही रफ़ी उल्शान अस्हाब रसूल ए पाक में हज़रत बूरैदा बिन हसीब भी शामिल हैं जिन्हें रसूल उल्लाह ने अपने झंडे की अलमबर्दारी से इस वक़्त इज़्ज़त बख़शी जब बवक़्त हिज्रत मदीना मुनव्वरा में क़दम रनजाई फ़रमाई।
डाक्टर सैयद मुहम्मद हमीद उद्दीन शरफ़ी डाइरेक्टर आई हरक ने आज सुबह ९ बजे इवान ताज उलार फा-ए-हमीदा बाद वाक़्य शरफ़ी चमन ,सब्ज़ी मंडी और ग्यारह बजे दिन जामा मस्जिद महबूब शाही , मालाकून्टा रोड,रूबरू मुअज़्ज़म जाहि मार्किट में इस्लामिक हिस्ट्री रिसर्च कौंसल इंडिया ( आई हरक) के ज़ेर ए एहतिमाम मुनाक़िदा९८४वीं तारीख इस्लाम इज्लास के अलत्तरतीब पहले सेशन में अहवाल अनबीया अलैहिम उस्सलाम के तहत हज़रत मूसा अलैहि स्सलाम के अहवाल मुक़द्दसा और दूसरे सेशन में एक मुहाजिर एक अंसारी सिलसिला के ज़िमन में सहाबी रसूल मक़बूल हज़रत बुरैदा बिन हसीब के हालात मुबारका पर तोसीई लकचर दीए।
कीराअत ए कलाम पाक, हमद बारी ताला,नाअत शहंशाह-ए-कौनैन स.व. से कार्रवाई का आग़ाज़ हुआ।मौलाना सैयद मुहम्मद सैफ उद्दीन हाकिम हमीदी कामिल निज़ामीया ने एक आयत ए जलीला कि तफ़सीर, एक हदीस शरीफ कि तशरीह और एक फ़िक़ही मसला का तोजीही मुतालआती मवाद पेश किया।
बाद डाक्टर सैयद मुहम्मद हसीब उद्दीन हमीदी ज्वाईंट डाइरेक्टर आई हरक ने इंग्लिश लकचर सीरीज़ के ज़िमन में हयात ए तैयबा के मुक़द्दस मौज़ू पर अपना ७३४ वां सिलसिला वार लकचर दिया। डाक्टर हमीद उद्दीन शरफ़ी ने कहा कि हज़रत बुरैदा की कुनिय्यत अबू अबदुल्लाह थी और वो सलामान बिन असलम अस्लमी की औलाद से थे इस्लाम लाने के बाद वो चंद अय्याम हुज़ूर अक़दस की ख़िदमत अक़्दस में हाज़िर रहे और इस दौरान क़ुरआन मजीद की तालीम से आरास्ता हुए बादअज़ां अपने वतन की तरफ़ मुराजअत की। ग़ज़वा बदर और उहुद में आप का इस्म ए गिरामी शुरका की फ़हरिस्त में नहीं मिलता ताहम सुलह हुदैबिया में शिरकत और बैअत रिज़वान के शरफ़ से मालामाल होना मालूम है।
ग़ज़वा ख़ैबर में शरीक रहे और फ़तह ख़ैबर की तफ़सीलात आप से मर्वी हैं फ़तह अज़ीम मक्का मुकर्रमा के मौक़ा पर रसूल ल्लाह की मुताबअत का शरफ़ पाया बादा सरिया यमन में हज़रत ख़ालीद के साथ गए।
हज़रत अली(र.ज.) की सरकर्दगी में मुस्लमानों की जमात के साथ भी यमन में पेशक़दमी का मौक़ा पाया। हज़रत बुरैदा ने अक्सर ग़ज़वात में शिरकत के ज़रीया अपनी शुजाअत और दीन ए हक़ के लिए जज़बा जाँनिसारी का भरपूर मुज़ाहरा किया अर्बाब सीयर ने उन के ग़ज़वात में हिस्सा लेने के वाक़ियात १६ बताए हैं, लश्कर हज़रत उसामा में भी शामिल थे।
अह्द ए रीसालत में दीयार ए हबीब ए कीब्रीया ही में रहे तासिसे बस्रा पर वहां मुस्तक़िलन फ़िरोकश हो गए। खल़िफ़ा-ए-राशिदीन के मुबारक दौर में भी जब भी मुम्किन हुआ राह-ए-हक़ में जिहाद के लिए सरगर्म रहे। शहि सवारी और फ़न हर्ब में कमाल के साथ साथ फ़ित्री बहादुरी और दिलेरी ने उन्हें हरवक़त ख़िदमत दीन के लिए मुस्तइद रखा।
मुस्लमानों के दरमियान इख़तिलाफ़-ओ-तसादुम से हमेशा अहतेराज़ किया। हज़रत बूरैदा जामीए कमालात थे इलम-ओ-फ़ज़ल में बड़ा रुतबा था। कुतुब अहादीस में आप से मरवीयात की तादाद १६४ मिलती है। 36 में वफ़ात पाई। आप के दो फ़र्ज़ंद अबद उल्लाह और सुलेमान थे। हज़रत बुरैदा पर हुज़ूर स.व. ख़ास लुतफ़-ओ-करम फ़रमाया करते थे अक्सर उन के हाथ अपने दस्त अक़्दस में लेकर उन्हें नवाज़ा करते। हज़रत बुरैदा का बारगाह रीसालत में तक़र्रुब ज़बान ज़द था।
इजलास के इख़तताम से क़ब्ल बारगाह रिसालत में सलाम ताज उलउरफ़ाइ पेश किया गया ज़िक्र जहरी और दाये सलामती पर आई हरक के दोनों सेशन तकमील पज़ीर हुए।अल्हाज मुहम्मद यूसुफ़ हमीदी ने इबतदा-ए-में ख़ैरमक़दम किया और जनाब मुहम्मद मज़हर हमीदी ने आख़िर में शुक्रिया अदा किया।