हज़ारे हर तहरीक ( आंदोलन) को मुत्तहिद (मैत्रीपूर्ण) रखने की सलाहीयत के हामिल : किरण बेदी

नई दिल्ली, २१ सितंबर ( पी टी आई) समाजी कारकुन किरण बेदी ने आज एक अहम ब्यान देते हुए इस बात की वज़ाहत (स्पष्टीकरण) तलब की कि बदउनवानीयों ( भ्रष्टाचार) के ख़िलाफ़ तहरीक (आंदोलन) को सयासी रंग दिए जाने की क्या वाक़ई ज़रूरत थी? ।

उन्होंने ये भी कहा कि अन्ना हज़ारे एक ऐसे क़ाइद ( लीडर) हैं जिन में ये सलाहीयत है कि वो बदउनवानीयों ( भ्रष्टाचार) के ख़िलाफ़ लड़ने वाले तमाम लोगों को मुत्तहिद (मित्रधर्मी/एक) रख सकते हैं । अपनी बात जारी रखते हुए उन्होंने कहा कि मुल़्क गीर ( सम्पूर्ण राष्ट्र के) पैमाने पर होने वाली तमाम तहरीकों ( आंदोलनो) को मुत्तहिद ( सीमित) रखने की अन्ना हज़ारे में सलाहीयत है और इस तरह वो तमाम सयासी जमातों पर दबाव बरक़रार रखते हुए एक मुस्तहकम (मजबूत) लोक पाल बिल मंज़ूर करवा सकते हैं ।

इन तमाम बातों के लिए सयासी पार्टी तशकील देने की क्या ज़रूरत है ?। यहां इस बात का तज़किरा भी ज़रूरी है कि किरण बेदी ने अन्ना हज़ारे की उस वक़्त ताईद ( समर्थन करना) की थी जब अन्ना हज़ारे ने सयासी पार्टी तशकील ना दिए जाने की वकालत करते हुए सिर्फ तहरीक से वाबस्तगी का इज़हार किया था जबकि अरविंद केजरीवाल की क़ियादत ( नेतृत्व/ Leadership) ) वाले ग्रुप से अन्ना हज़ारे ने अपनी वाबस्तगी ( संपर्क) ख़त्म कर दी थी जो सयासी पार्टी तशकील देने की फ़िक्र में लग गए थे ।

किरण बेदी ने कहा कि वो कभी भी सियासत से वाबस्तगी इख़तियार नहीं कर सकतीं । अन्ना हज़ारे का साथ भी वो इस लिए दे रही हैं कि मौसूफ़ (प्रसंशित व्यक़्ति ) एक बेलौस ( साफ सुथरा) क़ाइद (नेता) हैं और सिर्फ बदउनवानीयों ( भ्रष्टाचार) के ख़ातमा के लिए लोक पाल बिल मंज़ूर करवाने कोशां ( कि कोशिश में) हैं ।

किरण बेदी ने कहा कि समाजी ख़िदमात के लिए सयासी पार्टी की ज़रूरत नहीं है । हिंदूस्तान में ऐसे बेशुमार समाजी कारकुन गुज़रे हैं जिन्हों ने बगै़र किसी सयासी वाबस्तगी के अवाम की ख़िदमात को तर्जीह ( प्रधानता) देते हुए अपनी ज़िंदगी वक़्फ़ कर दी ।