पेरिस। फ्रांस के मुस्लिम समुदाय के लिए केंद्रबिंदु बनी ग्रेट मस्जिद को देश में सबसे पुरानी मस्जिद माना जाता है। इसका इतिहास काफी पुराना है, साल 1926 से मस्जिद मुसलमानों के लिए शान है। विश्व युद्ध के दौरान हज़ारों मुस्लिम सैनिक फ्रांस के लिए जर्मनी से लड़ते हुए मारे गए थे जिनको श्रद्धांजलि देने के लिए इस ऐतिहासिक मस्जिद को स्थापित किया गया था।
मस्जिद के प्रवेश पर पेड़ हैं। इसका मुख्य दरवाजा लकड़ी से बना है, जो आगंतुकों का स्वागत करता है। यह मस्जिद इस्लामिक शैली में बनाई गई है जिसकी मीनार की ऊंचाई 33 मीटर है। इसका उद्घाटन 15 जुलाई 1926 को तत्कालीन राष्ट्रपति गेस्टन डॉमेर्गुए ने किया था। अहमद अल अल्वी (1869-1934) के नेतृत्व में यहाँ पहली बार नवनिर्मित मस्जिद में फ़्रांस के राष्ट्रपति की मौजूदगी में नमाज़ पढ़ी गई थी। अहमद अल अल्वी एक अल्जीरियन सूफी थे।
इस मस्जिद का दूसरे विश्व युद्ध के दौरान जर्मन उत्पीडन से लोगों बचाने के लिए उपयोग किया गया था। यह सुनिश्चित किया था कि आश्रय, सुरक्षित यात्रा और नकली मुस्लिम जन्म प्रमाण पत्र प्रदान कर उन्हें जर्मन उत्पीड़न से बचाया जाए। प्रारंभ में मोरक्को के राजा द्वारा प्रायोजित मस्जिद को फ्रांस के विदेश मंत्री द्वारा 1957 में अल्जीरिया को सौंपा गया था। वर्तमान में मस्जिद मुफ्ती दालिल बू बकर के नेतृत्व में है।
उनका कहना है कि मैं यहाँ खुद को अल्लाह से जुड़ा हुआ महसूस करता हूं। मैं बहुत धार्मिक नहीं हूँ, लेकिन इस जगह मैं शांति के साथ प्रार्थना कर सकता हूं। उनका यह भी कहना है कि गैर मुस्लिम लोग यहाँ आकर सुकून महसूस करते हैं। मस्जिद परिसर में एक रेस्टोरेंट भी है जो लोगों के बीच लोकप्रिय है। एक नर्स मेलानी मार्टिन कहती है कि वह अपने दोस्तों के साथ यहाँ आकर चाय और बक्लब कहना पसंद करती है। मस्जिद के अधिकारियों के साथ हमेशा अच्छे संबंध रहे हैं।
फ्रांस और जर्मनी में पिछले कुछ महीनों हुए घातक हमलों में दर्जनों लोग मर गए जबकि सैकड़ों घायल हुए। इन हमलों की इस्लामिक स्टेट (आईएस) समूह ने जिम्मेदारी ली है। बू बकर के अनुसार मस्जिद एक फ्रांसीसी समाज इस्लामोफोबिया बढ़ते के साथ व्याप्त के साथ संघर्ष करने के लिए छोड़ दिया है।इस्लामोफोबिया के बढ़ते प्रभाव के बावजूद मस्जिद फ्रांसीसी समाज के साथ है। फ्रांस में इस्लाम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण क्षण था जब कई नेताओं ने यहाँ परियोजना को बढ़ावा दिया और हमारे धर्म का स्वागत किया।
नस्लवाद के खिलाफ लड़ाई को लेकर अंतर-मंत्रालयी प्रतिनिधिमंडल ने कहा है कि मुसलमानों के खिलाफ हिंसा के रूप में आक्रामकता के मामलों में तीन गुना तेजी आई है। वर्ष 2014 के 133 मामलों की तुलना में 2015 में बढ़कर 425 हो गए हैं। इसी साल मई में राष्ट्रपति पद के चुनाव के मद्देनज़र मस्जिद अपने अतीत को भुलाकर आधुनिक फ्रांस में अपनी भूमिका का जवाब खोजने के लिए प्रयासरत है। गृह मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार 2016 में इस क्षेत्र में कुल 689 फ्रांसीसी नागरिक थे जिसमें सैनिकों समेत 275 महिलाऐं भी सम्मिलित थी।