हड़ताल के दूसरे दिन बेंकिंग ख़िदमात मफ़लूज

नई दिल्ली, 22 फ़रवरी: मुल्क भर में हड़ताल के दूसरे दिन आज बेंकिंग ख़िदमात बुरी तरह मफ़लूज रही और मेट्रो शहरों में बेशतर ए टी एम मशीनों में रक़म ख़त्म हो चुकी थी। इस के इलावा पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम भी मुतास्सिर रहा। सेंटर्ल यूनियनों की जानिब से दो रोज़ा हड़ताल के आज दूसरे दिन कई रियासतों में बंद का मिला जुला रद्दे अमल रहा, जबकि केरला में मामूल की ज़िंदगी बुरी तरह मुतास्सिर रही।

मग़रिबी बंगाल में भी अगरचे मामूल की सरगर्मियां बहाल रही, लेकिन बेंकिंग ख़िदमात पर मनफ़ी असर पड़ा, क्योंकि कौमियाए हुए और ख़ानगी बेंक्स बंद थे। इस के इलावा ए टी एम गैरकार कर्द होगए थे। पासपोर्ट ख़िदमात मामूल के मुताबिक़ चलाई गईं। दुकानात, मार्किट और तिजारती इदारे खुले रहे। क़ौमी दारुल हुकूमत दिल्ली में आज दूसरे दिन भी अवाम को मुश्किलात का सामना करना पड़ा, क्योंकि ऑटोरिक्शा और टेक्सियाँ नहीं चलाई गईं।

कई सनअती यूनिट्स और बेंक्स बंद रहे या इन में इंतिहाई कम हाज़िरी रिकार्ड की गई। मार्किट्स और तिजारती इदारे खुले थे। महाराष्ट्रा और बिलखुसूस मालियाती दारुल हुकूमत मुंबई में कई ए टी एम्स गैरकार कर्द होगए थे। बेंकों ने भी अपने ब्रांचस बंद रखे, इस के इलावा चैकों की क्लियरिंग भी नहीं होसकी, क्योंकि आर बी आई भी इस हड़ताल में शामिल होगया था।

ऑल इंडिया बेंक इम्पलाइज़ एसोसिएष्ण के नायब सदर विश्वास अतागी ने कहा कि बेंकों के बाक़ीमांदा काम अंजाम देने के लिए 2 ता 3 दिन लग सकते हैं। मुंबई की शहा रग तसव्वुर की जाने वाली सब अर्बन रेलवे मामूल के मुताबिक़ चलाई गई और सड़कों पर ट्रेफ़िक भी ग़ैर मुतास्सिर रही। केरला में हड़ताल की वजह से आम ज़िंदगी मफ़लूज होगई थी, जहां वर्कर्स ने काम करने से इनकार कर दिया।

रियासत में बसें और टेक्सियाँ भी नहीं चलाई गईं, इस के इलावा मार्किट्स भी बंद रहे। ट्रेन और फ़िज़ाई ख़िदमात पर कोई असर नहीं पड़ा। सरकारी दफ़ातिर में हाज़री बहुत कम रही, और तालीमी इदारे बंद रहे चूँकि मुवाफ़िक़ बायां बाज़ू तंज़ीमों और असातिज़ा यूनियनों ने हड़ताल में हिस्सा लिया था। यूनिवर्सिटीज़ ने गुज़िश्ता दो दिन के दौरान इमतिहानात मंसूख़ कर दिए थे।

यूनियनों ने हुकूमत को 10 मुतालिबात पर मबनी मंशूर पेश किया है, जिस में क़ीमतों पर क़ाबू पाने के लिए फ़ौरी इक़दामात, लेबर क़वानीन पर सख़्ती से अमल, ग़ैर मुनज़्ज़म शोबा के वर्कर्स के लिए समाजी तहफ़्फ़ुज़ और पब्लिक सेक्टर यूनिट्स में निजी कारी का सिलसिला रोकने के इलावा अक़ल तरीन उजरत को बढ़ा कर महीना 10 हज़ार रुपये करना शामिल है।

इस हड़ताल का कर्नाटक के बेशतर हिस्सों में नुमायां असर नहीं देखा गया। बेंकिंग ख़िदमात अगरचे मुतास्सिर थीं, लेकिन सड़कों पर बसें और टेक्सियाँ चलाई गईं, जबकि दुकानात भी खुले रहे। आंधरा प्रदेश में बेंक्स और पब्लिक सेक्टर तंज़ीमों के मुलाज़मीन ने दूसरे दिन भी हड़ताल में हिस्सा लिया। टामिलनाडो में बेंकिंग और पोस्टल ख़िदमात पर काफ़ी असर पड़ा।

फिर भी दुकानात मामूल के मुताबिक़ खुले रहे, और ट्रांसपोर्ट ख़िदमात भी रोज़ की तरह अंजाम दी गईं। चेन्नई में मुख़्तलिफ़ मुक़ामात पर ट्रेड यूनियनों ने एहतिजाजी मुज़ाहिरे किये।