हड़ताल से क़बल की तनख़्वाह भी वाजिब अलादा : हड़ताली पायलेट्स

दिल्ली हाईकोर्ट ने मर्कज़ ( केंद्र) और एयर इंडिया इंतिज़ामीया की हिदायत की है कि वो हड़ताली पायलटों की जानिब से दाख़िल कर्दा दरख़ास्त का जवाब दें जिस में पायलटस ने शिकायत की है कि इन की तनख़्वाहों और दीगर ( दूसरे) मुराआत की अदाएगी नहीं की गई है ।

जस्टिस एस पी गर्ग ने हुक्म जारी करते हुए कहा कि मर्कज़ और एयर इंडिया इंतिज़ामीया अंदरून एक हफ़्ता अपने जवाबात दाख़िल करें। अदालत कैप्टन समीर सैनी की दाख़िल कर्दा दरख़ास्त पर समाअत कर रही थी जहां उन्होंने दीगर ( अन्य) पायलेट्स के साथ ये शिकायत दाख़िल करवाई थी कि पायलेट्स को उन की वाजिब ए लादा तनख़्वाहें और दीगर मुराआत अदा नहीं किए गए हैं।

सीनियर ऐडवोकेट पिंकी आनंद जो पायलेट्स की नुमाइंदगी कर रही हैं, ने कहा कि कम-ओ-बेश 450 पायलेट्स की तनख़्वाह वाजिब अलादा है। इस दरख़ास्त के इदख़ाल का एयर इंडिया पायलेट्स की जारी हड़ताल से कुछ लेना देना नहीं है । EMI (जो पायलेट्स की जानिब से अदा शदणी हैं) और दीगर उमूर ताख़ीर का शिकार हो रहे हैं।

पिंकी आनंद दरअसल जस्टिस गर्ग के एक रीमार्क का जवाब दे रही थीं जहां उन्होंने कहा था कि पायलेट्स की दरख़ास्तों पर क्यों ग़ौर किया जा सकता है जबकि वो हड़ताल पर हैं। उन्होंने कहा पायलेट्स की हड़ताल 7 मई से जारी है लेकिन उन्हें हड़ताल के आग़ाज़ से पहले वाली ख़िदमात की तनख़्वाहें भी अदा नहीं की गई हैं।

अदालत ने फ़िलहाल इस मुआमला की आइन्दा समाअत ( सुनवाई) की तारीख 10 जुलाई मुक़र्रर की है। एयर इंडिया इंतिज़ामीया के वकील ललित भसीन ने पायलेट्स की दरख़ास्तों की मुख़ालिफ़त की और वाज़िह तौर पर कह दिया कि पायलेट्स की दरख़ास्तों / शिकायतों पर उस वक़्त तक ग़ौर नहीं किया जा सकता जब तक वो अपनी हड़ताल ख़त्म ना कर दें।

क़बल अज़ीं ( इससे पहले) जस्टिस रीवा ख्त्री पाल ने भी 67 हड़ताली पायलेट्स और उन की नुमाइंदा मजलिस इंडियन पायलेट्स गिल्ड (IPG) को अदालत की क़बल अज़ीं भेजी गई नोटिस की अदम तामील पर दूसरी नोटिस रवाना की थी जिस में हड़ताल को गैरकानूनी क़रार दिया गया था।