क़र्ज़ा जात पर आर बी आई की शरह सूद में दुबारा इज़ाफ़ा

मुंबई 25 अक्तूबर (पी टी आई) तमाम क़र्ज़ा जात महंगे होजाएंगे क्योंकि रिज़र्व बैंक ने आज कलीदी शरह सूद में 25 नकात की बुनियाद पर बढ़ती हुई क़ीमतों पर क़ाबू पाने के मक़सद से कुछ तरक़्क़ी की क़ुर्बानी का ख़तरा मोल लेते हुए इज़ाफ़ा कर दिया।

ये 13वीं मर्तबा है जबकि मार्च 2010-ए-से शरह सूद में इज़ाफ़ा किया गया ही। बड़ा पालिसी फ़ैसला करते हुए रिज़र्व बैंक आफ़ इंडिया के गवर्नर डी सुबह राव ने सेविंग बैंक्स डिपाज़िट की शरहों को भी फ़ौरी असर के साथ ग़ैर मर्कूज़ कर दिया है।

ये इक़दाम डिपाज़िटस पर बेहतर मुनाफ़ा दे सकता है, क्योंकि बैंकों को डपाज़टरस को तरग़ीब देने के लिए मुसाबक़त करनी होगी। आज के इज़ाफ़ा से आर बी आई के बैंकों को रुकमी क़र्ज़ा जात की शरह में 8.5 फ़ीसद इज़ाफ़ा होगया जबकि आर बी आई में अपने रक़ूमात बैंकों की जानिब से जमा करने की शरह 7.5 फ़ीसद बरक़रार है।

मआशी तरक़्क़ी के सिलसिले में आर बी आई ने पेश क़ियासी की है कि ये मौजूदा माली साल में 7.6 फ़ीसद होगी जबकि साबिक़ा पेश क़ियासी 8 फ़ीसद की थी। आर बी आई की शरह में इज़ाफ़ा करते हुए मशहूर बैंकर्स ने इशारा दिया है कि वो भी अपनी शरह सूद में इज़ाफ़ा करदेंगी। पालिसी मौक़िफ़ में तबदीली पैदा करते हुए जबकि इफ़रात-ए-ज़र अभी बर्दाश्त की सतह से ऊपर ही, ख़तरा है रिज़र्व बैंक के तीक़नात की साख केलिए ख़तरा पैदा हो जाएगा और इस तरह इफ़रात-ए-ज़र में कमी और इस का इस्तिहकाम मुम्किन ना होसकेगा। पालिसी दस्तावेज़ के बमूजब अगर तरक़्क़ी की रफ़्तार सुस्त भी होजाए तो मौजूदा इफ़रात-ए-ज़र की शरह जो दो आदाद पर मुश्तमिल निशाना पार करचुकी है , डसमबर तक कम होना शुरू होजाएगी और मार्च 2012-ए-तक इस में 7 फ़ीसद कमी पैदा होगी। आर बी आई ने बैंक की शरह और रुकमी महफ़ूज़ ज़ख़ाइर का तनासुब तबदील नहीं किया है और वो बदस्तूर 6 फ़ीसद बरक़रार है, जबकि लाज़िमी साख 24 फ़ीसद बरक़रार है।

माली पालिसी के ऐलानात पर तबसरा करते हुए मर्कज़ी वज़ीर फ़ीनानस परनब मुख़र्जी ने कहा कि ये फ़ैसला गवर्नर की जानिब से मुक़ामी इफ़रात-ए-ज़र से निमटने के अह्द के मुताबिक़ किया गया है क्योंकि इफ़रात-ए-ज़र अब भी बहुत ज़्यादा है।

उन्होंने उम्मीद ज़ाहिर की कि इस के नतीजा में वक़्त गुज़रने के साथ साथ इफ़रात-ए-ज़र एतिदाल की सतह पर आजाएगा ताहम एतराफ़ किया कि इस का कुछ असर तरक़्क़ी पर भी मुरत्तिब होगा, लेकिन सूरत-ए-हाल मुश्किल है और ऐसी मुश्किल सूरत-ए-हाल पर हम कोई सादा हल की तवक़्क़ो नहीं करसकती। शोबा सनअत ने शरह सूद में इज़ाफ़ा केलिए कुछ वक़फ़ा देने की ख़ाहिश की है और अंदेशा ज़ाहिर किया है कि शरह सूद में इज़ाफ़ा मआशी तरक़्क़ी कमज़ोर कर देगा।

संघटन के सदर दिलीप मोदी ने ताहम कहा कि शोबा सनअत इतमीनान की सांस ले सकती ही, क्योंकि आर बी आई ने इशारा दिया है कि डसमबर तक इज़ाफ़ा मैं निसबतन कमी पैदा होजाएगी।आर बी आई के बमूजब तवक़्क़ो है कि पालिसी वस्त मुद्दती इफ़रात-ए-ज़र में कमी पैदा करेगी।