क़र्ज़ राहत स्कीम में बड़ा घोटाला

नई दिल्ली । 5 मार्च (पी टी आई) ज़रई क़र्ज़ राहत स्कीम पर सी ए जी रिपोर्ट का हवाला देते हुए बी जे पी ने आज इल्ज़ाम आइद किया कि स्कीम की अमल आवरी में 10 हज़ार करोड़ का सब से बड़ा मुबय्यना तौर पर घोटाला किया गया है। पार्टी ने इस अस्क़ाम के ज़िम्मेदारों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई करने का मुतालिबा किया।

बी जे पी के तर्जुमान प्रकाश जावडेकर ने पार्लीमेंट हाउज़ के बाहर अख़बारी नुमाइंदों से बातचीत करते हुए कहा कि यू पी ए हुकूमत इस अस्क़ाम की ज़िम्मेदार है। वो ही अस्क़ाम में मुलव्विस अफ़राद की पुश्तपनाही करती है। इस स्कीम केलिए 50 हज़ार करोड़ रुपय मुख़तस किए गए थे जिस में से 10 हज़ार करोड़ रुपय लूट लिए गए हैं। क़ौम के सामने ये सब से बड़ा धोका है।

क़ौम को धोका देने वालों के ख़िलाफ़ सख़्त कार्रवाई की जानी चाहीए। उन्होंने कहा कि सी ए जी रिपोर्ट इस अस्क़ाम का वाज़िह सबूत है। ज़रई क़र्ज़ राहत स्कीम पर सी ए जी की रिपोर्ट इस बात का सबूत हैकि इस में 52 हज़ार करोड़ के क़र्ज़ राहत के अंदर 10 हज़ार करोड़ को लूट लिया गया है।

ज़ाइद अज़ 34 लाख किसानों को इस स्कीम केलिए अहल क़रार दिया गया था लेकिन उन्हें कोई रियायत नहीं दी गई। 24 लाख गेरा हल किसानों को इस क़र्ज़ राहत स्कीम से बहुत बड़ा फ़ायदा पहुंचाया गया। बी जे पी तर्जुमान ने मज़ीद कहा कि ये स्कीम निहायत ही ज़रूरी थी क्योंकि एक मर्तबा क़र्ज़ की अदायगी के बाद उसे दुबारा क़र्ज़ की क़िस्त अदा करदी गई। जो लोग इस स्कीम के अहल नहीं थे उन्हें ही फ़ायदा पहुंचाया गया।

इसी वजह से हम देख रहे हैं कि 60 हज़ार करोड़ रुपय तक़सीम किए गए जबकि मुल्क भर में किसान ख़ुद को फांसी देकर हलाक कररहे हैं। किसानों की ये ख़ुदकुशीयाँ इस बात का सबूत है कि मर्कज़ी हुकूमत की जारी करदा स्कीम का उन्हें कुछ फ़ायदा नहीं पहुंचा। जावीडकर ने कहा कि नई दिल्ली और चन्दीगढ़ में यू पी और बिहार मग़रिबी बंगाल से ज़्यादा क़र्ज़ राहत स्कीम से इस्तिफ़ादा करने वालों की फ़हरिस्त है।

मुफ़ाद हासिला ने स्कीम को ग़लत तरीक़ा से इस्तिमाल किया। यू पी ए हुकूमत का ये सब से बड़ा अस्क़ाम है हम उस की शदीद मज़म्मत करते हैं। पब्लिक अकाउंट्स कमेटी को इस मसले पर तवज्जु दीनी चाहीए। बी जे पी लीडर जसवंत सिंह ने कहा कि ये स्कीम इंतिख़ाबी खेल के तहत शुरू की गई थी। इस के जो नताइज बरामद हुए हैं वो सब पर आशकार होचुके हैं। सरकारी रक़ूमात को इंतिख़ाबात में सियासी पार्टीयां अपने मुफ़ादात केलिए इस्तिमाल करेंगी।