क़ानून अदालती तक़र्रुत कमीशन की तंसीख़ की अपील

नई दिल्ली

सुप्रीम कोर्ट ने अदालती तक़र्रुत के क़ौमी कमीशन क़ानून की तंसीख़ केलिए दायर करदा दरख़ास्त पर फ़िलफ़ौर समाअत करने से इनकार कर दिया है। इस कमीशन के ज़रिए जजों की जानिब से अपने तौर पर आला अदलिया के लिए जजों के तक़र्रुत के कालेजियम तरीका-ए-कार का ख़ातमा होगया था।

चीफ़ जस्टिस एच एल दत्तू की ज़ेर-ए-क़ियादत एक तीन रुकन बैंच ने कहा कि इस में उजलत की कोई ज़रूरत नहीं है। मामूल के मुताबिक़ इस पर समाअत होगी। एक सीनियर ऐडवोकेट भीम सिंह ने दरख़ास्त दायर करते हुए इस मसले पर फ़ौरी समाअत की इस्तिदा की थी। सुप्रीम कोर्ट में गुज़िश्ता रोज़ दायर करदा एक दरख़ास्त में अदालती तक़र्रुत के क़ौमी कमीशन क़ानून की क़ानूनी हैसियत और दस्तूरी जवाज़ को चैलेंज किया गया था।

इस मुसव्वदा क़ानून को सदर जम्हूरिया प्रणाब मुखर्जी ने बमुश्किल एक हफ़्ता क़बल मंज़ूरी दी थी। ऐडवोकेट भीम सिंह जो जम्मू-ओ-कश्मीर नेशनल पैंथर्स पार्टी के सरबराह भी हैं, 2014 के इस क़ानून को गै़रक़ानूनी और ग़ैर दस्तूरी क़रार दिया है। उन्होंने इस्तिदलाल पेश किया कि इस क़ानून से आला अदलिया में जजों के तक़र्रुत के ज़िमन में आमिला को मज़ीद ग़लबा-ओ-तसल्लुत हासिल होजाएगा और चीफ़ जस्टिस आफ़ इंडिया की सिफ़ारिश मह‌ज़ एक तजवीज़-ओ-मश्वरा की हद तक घट जाएगी|