एम सिरीधर रेड्डी ने 12 जुलाई को सिध्द्दीपेट डी एस पी की हैसियत से अपने ओहदे का जायज़ा हासिल किया। वाज़िह रहे कि सिरीधर रेड्डी 2004 में सर्किल इन्सपेक्टर की हैसियत से सिध्द्दीपेट में ख़िदमात अंजाम दे चुके हैं।
उन्होंने नामा निगार सियासत कलीम उलरहमन से गुफ़्तगु करते हुए बताया कि पुलिस का काम क़ानून की हिफ़ाज़त करना, ज़ालिम को सज़ा देना है।
एक ईमानदार ऑफीसर का क़ानून के दायरे में रह कर काम करना इस का अव्वलीन फ़र्ज़ बनता है। उन्होंने कहा कि में क़ानून के दायरे में रह कर ख़ातियों को सज़ा देता हूँ।
2004 में जब वो यहां सर्किल इन्सपेक्टर थे तो ग़ैर समाजी सरगर्मीयों के ख़िलाफ़ सख़्ती से निमटते हुए उसकी सरकूबी के लिए बेहतर् इक़दामात किए थे, जिस से काफ़ी हद तक शहरीयों को राहत हासिल हुई थी।
उन्होंने कहा कि सिध्द्दीपेट क़ौमी यकजहती और आपसी भाई चारगी के लिए एक मिसाली शहर है। यहां सब ही तबक़ात के अफ़राद आपस में मिल जूल कर रहते हैं, अलबत्ता यहां एक बहुत बड़ा मसला ट्राफिक का है, जो शहरीयों के लिए दर्द-ए-सर बन चुका है।
इस मसले की यकसूई के लिए अंदरून एक माह उन्होंने इस पर क़ाबू पाने का यकिन दिया। उन्होंने कहा कि ला एंड आर्डर की बरक़रारी और अवामी जान-ओ-माल के तहफ़्फ़ुज़ के लिए इक़दामात हमारी अव्वलीन तर्जीह है, शरपसंद अनासिर को सर उठाने का मौक़ा हरगिज़ नहीं दिया जाएगा।
उन्होंने कहा के राय दही के मौके पर किसी भी तरह के तशद्दुद को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। शहर सिध्द्दीपेट मेदक का सब से बड़ा डीवीझ़न है और अमन-ओ-शांति का गहवारा है, यहां के इत्तिहाद-ओइत्तेफ़ाक़ को बिखेरने की कोशिश करने वालों को इस का ख़मयाज़ा भुगतना पड़ेगा। आख़िर में उन्होंने अवाम से अपील की के वो किसी डर और ख़ौफ़ के बगै़र रास्त उनसे किसी भी मुआमले के लिए रुजू हो सकते हैं।