काबीनी सेक्रेटरी अजीत सेठ की ज़ेर-ए-क़ियादत सरकरदा ओहदेदारान ने आज क़ीमतों की मौजूदा सूरत-ए-हाल का जायज़ा लिया और मानसून की आमद में ताख़ीर की बिना इफ़रात-ए-ज़ेर पर होने वाले असरात से निमटने की तैयारी की।
सरकारी बयान में बताया गया कि काबीनी सेक्रेटरी ने कमेटी आफ़ सेक्रेटरीज़ का इजलास मुनाक़िद करते हुए अशीया मायहताज की क़ीमतों का जायज़ा लिया।
इफ़रात-ए-ज़ेर की शरह 3 माह से मुसलसल बढ़ते हुए अप्रैल में 8.59 फ़ीसद तक पहूंच गई थी और ईसी पस-ए-मंज़र में आज ये इजलास मुनाक़िद किया गया।
अप्रैल में इफ़रात-ए-ज़ेर की शरह ज़्यादा होने की अहम वजह तरकारी, मेवे जात और दूध की क़ीमतों में इज़ाफ़ा था। आज के इजलास में मआशी उमोर से मुताल्लिक़ अहम विज़ारतों जैसे कॉमर्स ऐंड इंडस्ट्री, एग्रीकल्चर, फाईनेंस के सेक्रेटरीज़ ने शिरकत की।
इफ़रात-ए-ज़र पर क़ाबू नई हुकूमत का तरजीही एजंडा है। बी जे पी ने इंतेख़ाबी मंशूर में ये कहा था कि उसे हुकूमत मिलने की सूरत में क़ीमतों पर क़ाबू पाना अव्वलीन काम होगा।
इंतेख़ाबी मंशूर में क़ीमतों में इस्तेहकाम के लिए फ़ंड के क़ियाम, ज़ख़ीराअंदोजी और ब्लैक मार्किटिंग से निमटने के लिए ख़ुसूसी अदालतें और फ़ूड कोरपोरेशन आफ़ इंडिया के ज़रिए मोस्सर ग़िज़ाई तक़सीम के साथ साथ नेशनल एग्रीकल्चर मार्किट के क़ियाम का वाअदा किया गया था।