फ़ौरी तौर पर पेट्रोल की क़ीमत में 7.54 रुपये फ़ी (प्रती) लीटर ज़बरदस्त इज़ाफ़ा से फ़ौरी (फौरन) दसतबरदारी (छोड़ देने) का इम्कान मुस्तर्द (रद्द) करते हुए हुकूमत ने आज कहा कि वो बैन-उल-अक़वामी (अंतर्र्राष्ट्रीय) सतह पर तेल की क़ीमतों और रुपये – डालर शरह पर चंद दिन नज़र रखेगी।
इसके बाद ही शरहों में कमी का फ़ैसला किया जा सकता है। मर्कज़ी वज़ीर तेल एस जय पाल रेड्डी ने आज एक साल में क़ीमत में तीसरी बार इज़ाफ़ा का दिफ़ा करते हुए कहा कि तक़रीबन 7 महीने बाद तेल कंपनीयों के तमाम मुतबादिल (अदल बदल होने वाला) इम्कानात ख़तम हो चुके थे इस लिए ये इज़ाफ़ा (बढोत्तरी) किया गया है।
पेट्रोल की क़ीमत में इज़ाफ़ा पर अपनी मोहर-ए-खामोशी तोड़ते हुए जय पाल रेड्डी ने कहा कि तमाम सयासी ( राजनीतिक) पार्टीयां बिशमोल इन की अपनी पार्टी कांग्रेस अवाम में मक़बूलियत की ख़ाहिशमंद हैं, लेकिन हम मक़बूलियत के जज़बात ( विचार) के साथ मुल्क नहीं चला सकते।
तेल कंपनीयों को 7100 करोड़ रुपये से ज़्यादा गुज़शता (पिछले) दो साल में पेट्रोल की फ़रोख्त ( विक्री) पर नुक़्सान हो चुका है। वो ख़ुद भी सारिफ़ीन की परेशानीयों का एहसास रखती हैं। उन्हों ने कहा कि क़ीमत में इज़ाफ़ा नागुज़ीर (जरूरी) हो गया था क्योंकि रुपये की क़दर में अमेरीकी डालर के मुक़ाबला में कमी वाक़्य ( जरूर) हुई थी और बैन-उल-अक़वामी ( अंतर्राष्ट्रीय) बाज़ार में ख़ाम ( शुद्व) तेल की क़ीमत में इज़ाफ़ा हो गया था। इन दोनों मुश्किलात का बैयकवक़त (एक वक़्त में) मुक़ाबला नामुमकिन था।