निज़ामाबाद, ०३ जनवरी (ज़रीया फैक्स) मौलाना शेख़ कलीम उद्दीन क़ासिमी ने इस्लाह मुआशरा-ओ-अज़ाला मुनकिरात के हलक़ा ख़वातीन-ओ-तालिबात के इजतिमा मुनाक़िदा जामिआतुज़् अलज़हरातुलबनात खोजा कॉलोनी निज़ामाबाद से मुख़ातब किया। और कहा कि आज मुआशरे में जो बिगाड़ हो रहा है वो क़ुरान-ए-पाक नहीं पढ़ने की वजह से है क्योंकि क़ुरान-ए-पाक की तिलावत से दिल का ज़ंग दूर होता है चेहरे पर रौनक आती है गुनाह माफ़ होते हैं और अल्लाह ताला राज़ी होते हैं आज मुस्लमान क़ुरआन तो पढ़ रहे हैं लेकिन जिस तरह अबूबकर सिद्दीक़ ओ पढ़ते थे इस तरह हम पर कोई असर नहीं होता। हदीस शरीफ़ में आता है जब हज़रत अबूबकर सिद्दीक़ ओ क़ुरआन मजीद की तिलावत फ़रमाते तो अजीब नशा होता।
काफ़िर लोग हज़रत अबू बकर सिद्दीक़ रजि0 से कलाम सुनते तो हुज़ूर की ख़िदमत में हाज़िर होकर इस्लाम क़बूल कर लेते। आज हम क़ुरआन की तिलावत तो करते हैं लेकिन इस पर बराबर अमल नहीं करते क़ुरआन की तिलावत सुनते हैं लेकिन चेहरों पर रौनक नहीं। हमारे घरों से क़ुरान-ए-पाक की तिलावत की आवाज़ें नहीं आरही है। आज हमारे घर वीरान होचुके हैं। दुकानात में बरकत नहीं और तिजारतों में बरकत नहीं। अल्लाह ताला की दी हुई दुनिया की सब से बड़ी चीज़ को छोड़ रखा है अल्लाह के अहकामात को तोड़ दिया है रसूल अल्लाह स0 अ0 व0 की संतों से मन मोड़ लिया है। दुनिया को अपना लिया है और आख़िरत को छोड़ रखा है। असल ज़िंदगी अल्लाह की बंदगी है।
क़ुरान-ए-पाक की तिलावत करके इस के तर्जुमे को पढ़ने की कोशिश करनी चाहीए। जनाब मुहम्मद नईम उद्दीन ख़ादिम इस्लाह मुआशरा-ओ-अज़ाला मुनकिरात ने भी मुख़ातब किया और कहा कि क़ुरान-ए-पाक के पाँच हुक़ूक़ हम पर आइद होते हैं। क़ुरआन हकीम पर ईमान लाना, उस की तिलावत करना, इस पर ग़ौर-ओ-फ़िक्र करना , इस पर अमल करना और इस को तमाम लोगों तक पहुंचाना। मौलाना शेख़ कलीम उद्दीन क़ासिमी की दुआ पर इजतिमा इख़तताम को पहुंचा और इस्लाह मुआशरा वाज़ाला मुनकिरात की मुअल्लिमात ने शिरकत की और जामिआ की मुअल्लिमात ने इंतिज़ामात किए ख़वातीन और तालिबात की कसीर तादाद मौजूद थी |