क़ुरआन मजीद की बेहुर्मती और मुस्लमान

क़ुरआन मजीद की बेहुर्मती के वाक़ियात में हिंदूस्तान और दीगर बैरूनी ममालिक में आए दिन इज़ाफ़ा होता जा रहा है । चंद शरपसंद अनासिर मुख़्तलिफ़ अंदाज़ से क़ुरआन मजीद की बेहुर्मती कर रहे हैं । हाल ही में बेहुर्मती का वाक़िया सदी पेट में रौनुमा हुआ । जिस पर मुस्लमानों ने एहतिजाज किया ।

तारीख़ गवाह है कि मुस्लमान दीगर मज़हबी किताबों की कभी भी बेहुर्मती नहीं किए और ना करेंगे जबकि क़ुरआन मजीद की बेहुर्मती पैग़ंबर इस्लाम ई के कार्टूनस निसाबी कुतुब में उहाँती मज़ामीन का सिलसिला कहीं ना कहीं जारी है जिस से आलमी सतह पर मुस्लमानों के जज़बात मजरूह हो रहे हैं ।

सवाल ये पैदा होता है कि ये बेहुर्मती का सिलसिला कब तक चलता रहेगा? इस के तदारुक के लिए मुस्लमानों को एहतिजाज के इलावा ठोस इक़दामात करने की सख़्त ज़रूरत है ।

बेहुर्मती के सिलसिला को रोकने के लिए क़ौमी और बैन-उल-अक़वामी सतह पर सख़्त गीर क़वानीन की ज़रूरत है ताकि कोई बेहुर्मती के लिए सोंच भी ना सकें । तमाम मुस्लमानों को चाहीए कि इंसिदाद मज़हबी बेहुर्मती का क़ानून क़ौमी और बैन-उल-अक़वामी सतह पर बनाने के लिए मुत्तहदा तौर पर पर ज़ोर मुतालिबा करें । इस के इलावा बैन-उल-अक़वामी सतह पर और क़ौमी सतह पर मुत्तहदा तौर पर ग़ैर मुस्लिमों में दावत दीन को आम करें ।

मुहम्मद सिराज मुजाहिद निज़ाम आबाद