आज के इस संगीन मसरूफ़ दौर में इल्म दीन हासिल करना बहुत बड़ा काम है जो कोई इल्म दीन के हुसूल में मसरूफ़ रहता है अल्लाह ताला इस के रिज़्क की
कफ़ालत फ़रमाते हैं। इन ख़्यालात का इज़हार शहनाज़ बेगम कादरी शाज़ली ने ख्वातीन के इजतिमा से किया । उन्होंने कहा कि सबसे पहले अल्लाह ताला ने
हज़रत आदम अलैहिस्सलाम को इल्म की दौलत से नवाज़ा और उन्हें अल्लाह ताला ने अपना ख़लीफ़ा बनाया ।
उन्होंने इल्म दीन को लाज़वाल नेमत क़रार देते हुए कहा कि जो शख़्स इल्म दीन हासिल करने के लिए चलता है इसके लिए अल्लाह ताला जन्नत का रास्ता आसान कर देता है । फ़रिश्ते इसके क़दमों तले अपने पर बिछा देते हैं और समुंद्र की मछलियां इसके लिए दुआ करती हैं ।
उन्होंने अहादीस मुबारका के हवाले से क़ुरआन की अज़मत-ओ-फ़ज़ीलत को रोशनास करवाते हुए कहा कि उन्होंने हज़ारों की तादाद में लड़कियों और ख्वातीन के लिए इस मजमा में उल्मा ए इकराम की शान से हाज़रीन को वाक़िफ़ करवाते हुए कहा कि जो शख़्स इल्म हासिल करे और अमल ना करे तब भी इलम के हासिल करने
का सवाब उस शख़्स को मिलेगा ।
मगर उल्मा अपने इल्म और तक़्वे पर अमल करें चूँकि इमान वालों पर तक़्वे और परहेज़गारी निहायत ज़रूरी है । मुहतरमा आलिमा सैय्यदा नफीसा बानो रूही ने
ख़वातीन-ओ-तालिबात लड़कियों से ख़िताब करते हुए कहा कि क़ुरआन मजीद को रोज़ाना पढ़ना ये अमल ख़वातीन के लिए निहायत ज़रूरी है ।
लड़कियों को शादी में अपनी ज़िंदगी बसर करने के लिए जहेज़ के साथ सबसे पहले क़ुरआन मजीद की किताब देते हैं । मगर आजकल की लड़कियां इस क़ुरआन मजीद किताब को बड़ी हिफ़ाज़त के साथ अलमारी में रखती हैं । मगर इस का मुताला नहीं करती । इसलिए हमारे घरों में बरकत नहीं रहती ।
मियां बीवी में झगड़े , सास बहू में झगड़े , रिश्तेदारी में झगड़े वगैरह रहते हैं । क़ुरआन मजीद सारे इंसानों की हिदायत का सरचश्मा है । ये किताब रहनुमा-ओ-रहबर है और ये हक़-ओ-बातिल को खोल खोल कर और फ़र्क़ को वाज़िह करने वाली किताब है । उन्होंने क़ुरआन मजीद के बारे में तफ़सीलात पेश करते हुए
बताया कि क़ुरआन मजीद उम्मत मुस्लिमा के लिए एक ख़ास तोहफ़ा है ।
जिसके ज़रीया से उम्मत अपने फ़राइज़ मंसूबे को अदा करते है और ये रिश्तों में फ़र्क़ को जानने में भी मदद करती है, तो हमें चाहीए कि क़ुरआन से लगाव
पैदा करें और कसरत से क़ुरआन मजीद को पढ़ें और पढ़ाएं । उन्होंने कहा कि क़ुरआन मजीद का ये मोजिज़ा है कि वो इंसानों के अज़हान को बदलती और
इन्क़िलाब पैदा करती है ।
मुहतरमा आलिमा सैय्यदा नफीसा बानो ने क़ुरआन मजीद और नमाज़ की पाबंदों के बारे में ख़ास एहतेमाम करने के लिए नौजवान लड़कियों से अपील की है और
उन्होंने मज़ीद बताया कि रमज़ान मुबारक में ख्वातीन और ख़ासकर नौजवान लड़कियां नमाज़ों और रोज़ों का ख़ास एहतेमाम करें , ये बेहतरीन अमल है । इस
इजतिमा में ख्वातीन की कसीर तादाद मौजूद थी ।
इज़हार-ए-तशक्कुर-ओ-दा-ए-पर प्रोग्राम का इख़तेताम अमल में आया ।