हैदराबाद 15 जुलाई: ( रास्त ) क़ुरआन हकीम फ़क़त मुस्लमानों के लिए नहीं तमाम अक़्वाम आलम के लिए सरेचश्मा हिदायत है और पैदाइश से लेकर मौत तक के तमाम मसाइल का हल इस आसमानी सहीफ़ा में मौजूद है।
आक़ाए नामदार सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम सारे आलम के लिए बाइस रहमत हैं और आप सल्लल्लाह अलैहि वसल्लम क़ुरआन हकीम का चलता फिरता अमली नमूना हैं। इन ख़्यालात का इज़हार इस्लामी स्कालर मौलाना हबीब अबदुर्रहमान इलहा मद ने 13जुलाई की शाम मसदोसी हाल मग़लपोरा में बज़म जौहर के 52 वीं सालाना कुरानी मुज़ाकरे से क़ुरआन हकीम और हमारी ज़िंदगी के ज़ेर-ए-उनवान अपने सदारती ख़िताब के दौरान किया।
डाक्टर बशीर अहमद ने आसमानी सहीफ़ा क़ुरआन हकीम को सारे आलम की अक़्वाम और ख़ुसूसन मुस्लमानों के लिए एक सौगात अज़ीम क़रार दिया। जनाब नादरालमसदोसी ने अपने तवील ख़िताब में क़ुरआन मजीद फुर्क़ान हमीद की मुख़्तलिफ़ आयात का तर्जुमा और ख़ुलासा पेश किया।
डाक्टर राही ने अपने कलीदी नोट से मुज़ाकरा का आग़ाज़ करते हुए कहा कि मुस्लमान क़ुरआन हकीम से अपना रिश्ता जोड़ कर दुनिया-ओ-आख़िरत में सुर्ख़रूई , सरफ़राज़ी और कामयाबी-ओ-कामरानी हासिल करसकते हैं।मुज़ाकरा के फ़ौरी बाद सालाना तुरही हमदीह मुशायरा का इनइक़ाद अमल में आया।
मौलाना हबीब अबदुर्रहमान इलहा मद ने सदारत की। मुशायरा में डाक्टर राही, शौकत अली दर्द, डाक्टर सलीम आब्दी, जगजीवन लाल अस्थाना सह्र, अहमद क़ासिमी, डाक्टर फ़रीद उद्दीन सादिक़, नादरालमसदोसी, अंजुम शाफ़ई, यूसुफ़ रविष, रूबीना शबनम, बुख़्तियार, हामिद रिज़वी ने अपने ताज़ा तुरही हमदीह कलाम से कैफ़ीयत पैदा करदी।
मौलाना नादरालमसदोसी दाई महफ़िल ने इफ़तार-ओ-रोज़ा कुशाई की सआदत हासिल की।डाक्टर राही ने मुज़ाकरे और मुशायरे की कामयाब निज़ामत की ।मौलाना सय्यद अहमद ने दुआ की।