लंदन, 06 दिसंबर:
कुरान की आयतें याद नहीं कर पाने के वजह से हिन्दुस्तानी नज़ाद एक खातून ने अपने बेटे को इतना पीटा था कि उसकी मौत हो गई। ब्रिटेन की एक अदालत ने खातून को कत्ल, सुबूत छिपाने और लाश को जलाने का मुल्ज़िम पाया है। कार्डिफ क्राउन कोर्ट ने बुध को यह फैसला सुनाया।
33 साल की सारा ऐज ने साल 2010 में कार्डिफ के पोंटकाना वाकेय् (स्थित) अपने घर पर अपने बेटे यासीन की इतनी बेदर्दी से पिटाई की कि उसकी मौत हो गई। बाद में उसने उसकी लाश को जला दिया। बीबीसी की रिपोर्ट के मुताबिक, सारा को अदालत को गुमराह करने का भी मुल्ज़िम पाया गया है। सुनवाई के दौरान सारा ने यह भी दावा किया था कि जिस छड़ी से उसने अपने बेटे को मारा था, उस पर किसी खराब ( बुरी) रूह का साया था।
वहीं बच्चे के वालिद यूसुफ ऐज को यासीन को बचाने में नाकाम रहने के इल्ज़ाम से बरी कर दिया गया है। द डेली टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, ‘पहले समझा जा रहा था कि यासीन की मौत घर में लगी आग की वज़ह से हुई थी, लेकिन जांच में पता चला कि उसकी मौत काफी घंटे पहले हो गई थी।’ सारा को इससे पहले मुल्ज़िम नहीं ठहराया गया था और सारा इल्ज़ाम बच्चे के वालिद पर मढ़ दिया गया था।
सारा ने बताया कि उसे डर था कि सच्चाई जानने के बाद उसके शौहर उसे मार देंगे।
आखिरकार खातून (सारा) ने कुबूल कर लिया कि उसने ही अपने बेटे का कत्ल किया है। सारा ने बताया, ‘पिटाई के बाद यासीन तेज सांसें ले रहा था और धीरे-धीरे सबक याद कर रहा था। मुझे लगा कि वह थक गया होगा, लेकिन जब दस मिनट के बाद मैं वहां आई, तो देखा कि वह फर्श पर कांप रहा है और कुछ ही देर बाद वह चल बसा।’ सारा ने कहा कि वह डर गई थी, इसलिए उसने जल्दबाजी में अपने बेटे के लाश को जला दिया। उसका कहना था कि वह बेटे को डॉक्टर के पास इसलिए नहीं ले गई क्योंकि उसे डर था कि सामाजी तंज़ीम के लोग उसे उसके बच्चे से दूर कर देंगे।