क़ौमी तराना की बेहुरमती मुआमला पर अदालत का हुक्म महफ़ूज़

कूची, 04 जनवरी ( पी टी आई) केरला हाईकोर्ट ने मर्कज़ी वज़ीर शशी थरूर की दाख़िल करदा एक दरख़ास्त पर अपना फ़ैसला महफ़ूज़ रखा है। उन्होंने उनके ख़िलाफ़ क़ौमी तराना की मुबय्यना बेहुरमती किए जाने के एक मुआमला पर अदालत को फ़ैसला मुल्तवी करने की दरख़ास्त दाख़िल की थी ।

जस्टिस वी के मोहनन के इजलास में दरख़ास्त समाअत के लिए पेश की गई जिस पर उन्होंने अपने हुक्मनामा को ज़ेर-ए-इलतिवा रखा । शशी थरूर के वकील के मुताबिक़ उनके मुवक्किल ( थरूर) ने कभी भी किसी को भी क़ौमी तराना गाने से नहीं रोका । लिहाज़ा उनके ख़िलाफ़ क़ौमी तराना की मुबय्यना बेहुरमती का मुआमला दायर नहीं किया जा सकता ।

वकील राम कुमार ने कल अदालत से बार बार दरख़ास्त की कि इस मुआमला पर फ़ैसला को अज़ सर अलतवी रखा जाये लेकिन अदालत ने वकील की गुज़ारिशों को नजरअंदाज़ करते हुए समाअत आज के लिए मुक़र्रर की थी । ये बात दिलचस्पी से ख़ाली न होगी कि शशी थरूर पर ये इल्ज़ाम आइद किया गया था कि उन्होंने 16 दिसंबर 2008 को फेडरल बैंक की एक तक़रीब में क़ौमी तराना को दरमियान में ही रुकवा दिया था और वहां मौजूद लोगों को हिदायत की थी कि क़ौमी तराना अपना दायां हाथ सीने के बाएं जानिब रख कर पढ़ें जैसा कि अमेरीकी शहरी पढ़ते हैं । उन्होंने कहा कि बिलकुल अटेंशन (attention posture) की हालत में क़ौमी तराना पढ़ने से गुरेज़ किया जाये ।