क़ौमी पालीसियों पर इसराईल के असर-ओ-रसूख़ में इज़ाफ़ा

भोपाल, 26 अप्रैल: हिन्दुस्तान में मल्टीनेशनल कंपनियों की तादाद में मुसलसिल इज़ाफ़े की वजह से इसराईल का असर-ओ-रसूख़ बढ़ रहा है और क़ौमी पालीसियों पर भी वो असर अंदाज़ होरहा है। मौलाना ख़ालिद रशीद फ़रंगी इमाम ईदगाह लखनऊ ने उत्तर प्रदेश के बारह बनकी में मुग़ल दरबार हाल में मुनाक़िदा समीनार से बहैसियत मेहमान ख़ुसूसी ख़िताब करते हुए ये बात कही।

इस समीनार का उनवान हिन्दुस्तान में मुसलमानों के उमूमी मसाइल था। उन्होंने कहा कि मुसलमानों को तीन तरह के मसाइल का सामना है जो आलमी क़ौमी और इलाक़ाई नौइयत के हैं। उन्होंने कहा कि आज़ादी के वक़्त 37 फ़ीसद मुसलमान सरकारी मुलाज़िमत कर रहे थे, लेकिन ये शरह अब कम होकर तीन फ़ीसद होगई है। ऐसे मुसलमान जिन्होंने सख़्त मेहनत और जाँफ़िशानी के ज़रिये सनअतें क़ायम की थीं और अपने बल पर तिजारत को फ़रोग़ दिया था फ़िर्कावाराना फ़सादाद में उन्हें भी तबाह कर दिया गया जिस का नतीजा ये हुआ कि तरक़्क़ी के मामले में वो कई गुनाह‌ पीछे चले गए।

मौलाना ख़ालिद रशीद फ़रंगी ने कहा कि 1992 में नई मआशी पालीसियों की वजह से मुस्लिम नौजवानों को मल्टीनेशनल कंपनियों में मौक़े मयस्सर आए, लेकिन फ़िकरो परस्त ताक़तों के लिए ये बात नाक़ाबिले बर्दाश्त थी चुनांचे उन्होंने अपना लायेहा-ए-अमल तबदील कर दिया और सरकारी एजेंसियों की मदद से डॉक्टर्स इंजीनियर्स कम्प्यूटर माहिरीन और मल्टीनेशनल कंपनियों में मुलाज़िमत करने वालों को निशाना बनाना शुरू किया।

उन्होंने कहा कि जस्टिस रंगा नाथ मिश्रा कमीशन रिपोर्ट पर फ़ौरी अमल करते हुए मुसलमानों को 10 फ़ीसद तहफ़्फुज़ात फ़राहम किया जाना चाहिए। सदर सर सय्यद बेदारी फ़ोर्म डा. शकील समदानी (अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी ) ने कहा कि आज मुसलमान इस्लामी तालीमात और क़ुरआन-ओ-हदीस से दूर हो चुके हैं यही वजह है कि इन में पसमांदगी बढ़ती जा रही है।

जब मुसलमान बा अमल थे उन्होंने एशीया अफ़्रीक़ा और रूस के कई हिस्सों पर हुकूमत की। वो चीन और एक तिहाई यूरोप पर भी ग़लबा रखे हुए थे और तक़रीबन 8 सौ साल तक सुपर पावर रहे, लेकिन जब उन्होंने इस्लामी तालीमात को फ़रामोश कर दिया तो फिर पसमांदगी का शिकार होते चले गए। इस समीनार से डी आई जी (रिटायर्ड) डा. जी एस आर दारा पूरी मौलाना हबीब क़ासमी मौलाना मुश्ताक़ नदवी और दीगर ने ख़िताब किया।