क़ज़ात के निज़ाम में इस्लाहात और तब्दीलियों के लिए जामे मंसूबा पर ग़ौर

वक़्फ़ बोर्ड के तहत चलने वाले क़ज़ात के निज़ाम में इस्लाहात और तब्दीलियों के लिए एक जामे मंसूबा पर ग़ौर किया जा रहा है जिस के तहत शादी, तलाक़ और दीगर सर्टीफिकेट्स की इजराई के तरीकेकार को आसान बनाया जाएगा।

पासपोर्ट की इजराई और तजदीद के सिलसिले में जिस तरह का तरीकेकार अख़्तियार किया गया है, उसी तर्ज़ पर क़ज़ात से मुताल्लिक़ सर्टीफिकेट्स की इजराई को सिंगल विंडो सिस्टम के तहत किया जा सकता है। इस स्कीम पर वक़्फ़ बोर्ड को 8 ता 10 लाख रुपये ख़र्च करने पड़ेंगे।

ताहम इस से ना सिर्फ़ दरमियानी अफ़राद का रोल ख़त्म हो जाएगा बल्कि बे क़ाईदगियों का भी ख़ात्मा हो सकता है। दारुल क़ज़ात से वक़्फ़ बोर्ड को सालाना एक करोड़ से ज़ाइद की आमदनी है लेकिन वहां शादी, तलाक़ और मज़हब से मुताल्लिक़ सर्टीफिकेट्स के हुसूल के सिलसिले में अवाम को कई एक दुश्वारियों का सामना है।

दरमियानी अफ़राद के रोल और अंदरूनी अफ़राद की मिली भगत ने बदउनवानीयों का मौक़ा फ़राहम किया है। सिंगल विंडो सिस्टम के ज़रीए सर्टीफिकेट्स की इजराई को यक़ीनी बनाने की सूरत में अवाम को ना सिर्फ़ मुख़्तसर वक़्त में सर्टीफिकेट्स हासिल हो जाएगा बल्कि वक़्फ़ बोर्ड को रिकॉर्ड महफ़ूज़ करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।

नाज़िरुल क़ज़ात क़ाज़ी इकराम उल्लाह ने बताया कि वक़्फ़ बोर्ड को इस तजवीज़ पर अमल आवरी के इक़दामात करने चाहीए ताकि सर्टीफिकेट्स की इजराई के निज़ाम को शफ़्फ़ाफ़ बनाया जा सके। उन्हों ने कहा कि कम ख़र्च के ज़रीए वक़्फ़ बोर्ड इस निज़ाम में तबदीली ला सकता है और अवाम को कई दिन तक चक्कर काटने की ज़हमत नहीं होगी।

वाज़ेह रहे कि गुज़िश्ता दिनों क़ज़ात से मुताल्लिक़ रिकॉर्ड को कचरे दान की नज़र करने के वाक़िया को सियासत की जानिब से बेनकाब करने के बाद वक़्फ़ बोर्ड के ज़िम्मेदारों ने क़ज़ात के कई मुलाज़मीन का तबादला कर दिया है। तबादले के अहकामात के बावजूद बाअज़ मुलाज़मीन अभी भी क़ज़ात के उमूर में दिलचस्पी ले रहे हैं।